Google पर लगा 5 अरब डॉलर का जुर्माना!
नई दिल्ली: यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने इंटरनेट सेवांए देने वाली कंपनी गूगल पर 4.3 अरब यूरो का जुर्माना लगाया है. खास बात यह है कि प्रतिस्पर्धा प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर ईयू द्वारा लगाया गया यह अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है. ईयू के प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्गरेट वेस्टगर ने कहा कि हमनें तीन साल से जारी जांच के बाद यह फैसला किया है. जांच में पता चला कि गूगल ने अपने ब्राउजर और सर्च इंजन का बाजार में विस्तार के लिए एंड्रायड के दबदबे का दुरुपयोग किया है. वेस्टगर ने इस बात की जानकारी एक प्रेस कांफ्रेंस में दी. उन्होंने इस दौरान कहा कि यूरोपीय संघ ने प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन को लेकर गूगल पर 4.34 अरब यूरो का जुर्माना लगाया है. हमारी जांच में सामने आया है कि गूगल इंटरनेट सर्च में अपनी हिस्सेदारी को मजबूत करने के लिए अवैध गतिविधियों में शामिल रहा है.
लिहाजा अब उसे 90 दिनों के भीतर या तो उन गतिविधियां बंद करना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे औसत दैनिक राजस्व का पांच प्रतिशत जुर्माना के तौर पर भुगतान करना होगा. वेस्टगर ने जुर्माने के निर्णय की अग्रिम सूचना देने के लिए मंगलवार रात गूगल सीईओ सुंदर पिचाई से भी बात की थी. उन्होने कहा कि गूगल ने सैमसंग और हुआवे जैसी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों के साथ गठजोड़ कर स्मार्टफोन में अपना ब्राउजर और सर्च इंजन प्रीइंस्टॉल करा प्रतिस्पर्धियों के मौके छीने. उन्होंने कहा कि गूगल ने अपनी कई अन्य एप और सेवाओं के इस्तेमाल के बदले गूगल सर्च को डिफॉल्ट सर्च-इंजन बनाने की बाध्यता रखी.
इसके अलावा उसने गूगल सर्च को प्री – इंस्टॉल कराने के लिए स्मार्टफोन निर्माताओं एवं मोबाइल नेटवर्क कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन भी दिया. गूगल पर जुर्माना लगाए जाने की खबर के सामने आने के बाद गूगल के प्रवक्ता अल वर्नी ने इसके खिलाफ अपील करने की बात कही. उन्होंने कहा कि एंड्रायड ने लोगों के लिए अधिक मौके सृजित किए ना की कम किए हैं. वर्नी ने कहा कि मजबूत परिस्थिति, तेज नवाचार और कम कीमतें शानदार प्रतिस्पर्धा के पारंपरिक सूचक हैं.
गौरतलब है कि, इससे पहले भी यूरोपीय संघ अमेरिका की दो अन्य बड़ी कंपनियों एप्पल और फेसबुक पर भी भारी – भरकम जुर्माना लगा चुका है. वहीं अमेरिका द्वारा हाल ही में ईयू पर इस्पात एवं एल्युमिनीयम पर व्यापार शुल्क को लेकर जारी तनाव के बीच इस निर्णय से दोनो देशों के बीच एक बार फिर से तनाव उच्च स्तर पर पहुंच सकता है.