मोदी के भाषणों में दिख रही है कर्नाटक की कुंठा: मायावती
लखनऊ: बीजेपी व स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘‘विकास‘‘ का भ्रमित करने वाला राग को छोड़कर जिस प्रकार से शमसान-कब्रिस्तान, तलाक, हिन्दू-मुस्लिम, विपक्ष के खिलाफ फेक न्यूज व जातिवादी एवं साम्प्रदायिकता आदि की वकालत व ऐसे तत्वों को जबर्दस्त सरकारी संरक्षण आदि देना शुरु कर दिया है उससे जनता में इस धारणा को बल मिला है कि इनमें काफी ज्यादा हताशा है तथा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान विधानसभा के साथ ही लोकसभा का भी आमचुनाव समय से कुछ पहले इस वर्ष के अन्त तक करा सकती है। जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की सरकार को गिराकर बीजेपी इसकी भूमिका पहले ही तैयार कर चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आजमगढ़ व मिर्जापूर में दिये गये भाषण को चुनावी जुगाड़ों वाला भ्रामक भाषण बताते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने कहा कि खासकर कर्नाटक में साम, दाम, दण्ड, भेद आदि सभी प्रकार के हथकण्डे अपनाने के बावजूद वहाँ सरकार नहीं बनाने के कारण बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व कुण्ठा व हताशा से ग्रसित प्रतीत होता है और आगे की अपनी जातिवादी, साम्प्रदायिक व ओछी चुनावी राजनीति के लिये मैदान तैयार करने के क्रम में देश को जातिवादी व साम्प्रदायिक तनाव व हिंसा की आग में झोंकने का प्रयास सरकारी संरक्षण में लगातार कर रहा है। पिछले वर्षों में देश ने देखा है व अनुभव किया है कि बीजेपी सत्ता में आने के बावजूद वैसी ही घृणित नफरत, जातिवाद, विभाजन आदि की संकीर्ण व साम्प्रदायिक राजनीति करती चली आ रही है जैसाकि विपक्ष में रहकर इस प्रकार की घोर नकारात्मक राजनीति किया करती थी, यह अत्यन्त दुःखद है।
बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों पर देश की असली समस्या जैसे महँगाई, गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, किसानों की आत्महत्या व पलायन आदि की घोर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी की संकीर्ण, नकारात्मक व विभाजनकारी राजनीति अब काम आने वाली नहीं है। लोगों ने अब संगठित होकर इन्हें विफल करने का प्रयास शुरु कर दिया है जिसका परिणाम अब हर जगह देखने को भी मिल रहा है। घृणा, नफरत, विभाजन व तोड़ने की राजनीति कभी भी टिकाऊ नहीं हो सकती है।
मायावती ने कहा कि संसद का मानसून सत्र आने वाला है जहाँ नरेन्द्र मोदी सरकार को ‘‘अविश्वास प्रस्ताव‘‘ का सामना करना है। लेकिन इससे बचने के लिये बीजेपी ने तो पिछला बजट सत्र चलने ही नहीं दिया था और अब भी उसकी ऐसी ही नकारात्मक रणनीति दिखाई पड़ती है। लोकसभा की तरह राज्यसभा को भी जनहित, जनकल्याण व देशहित से दूर रखने का बीजेपी सरकार का प्रयास अति-निन्दनीय है।
इसके साथ ही देश भर में व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में लम्बित पड़ी रहने वाली विभिन्न परियोजनाओं के ’’अटके, लटके व भटके’’ रहनेे के बारे में पिछली सरकारों की कड़ी आलोचना करते समय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को थोड़ी ईमानदारी का सबूत अवश्य ही देना चाहिये और स्पष्ट रूप से जनता को यह भी यह बताना चाहिये कि इतने लम्बे के वर्षों के दौरान केन्द्र व विभिन्न राज्यों में बीजेपी की भी सरकारें काफी लम्बे समय तक रही हैं और इस मामले में कांग्रेस से कोई कम भूमिका बीजेपी की नहीं है।