सपा, बसपा सरकार में शिक्षक भर्तियों में गड़बड़ी , बोर्ड ने रद्द किये 69 हजार का आवेदन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने सपा और बसपा सरकार में शिक्षक भर्तियों में गड़बडि़यों को उजागर किया है। बोर्ड ने तत्काल कार्रवाई करते हुए करीब 69 हजार आवेदन को रद्द कर दिया है। हालांकि जिनका आवेदन रद्द किया गया है, उन्हें योग्यता अनुसार दूसरे विषयों में आवेदन करने की छूट दी गई है। अन्यथा वे अपने अावेदन शुल्क वापस भी ले सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, सपा व बसपा की सरकार में वर्ष 2011, 2013 और 2016 में टीजीटी व पीजीटी के उन विषयों में चयन के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिन विषयों की पढ़ाई माध्यमिक कॉलेजों में होती ही नहीं है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ऐसे विषयों में शामिल जीव विज्ञान (बायोलॉजी) के पद पर 187 अभ्यर्थियों का चयन कर उन्हें कॉलेज में पढ़ाने के लिए भी भेज दिया गया। उनमें से अधिकांश ने बिना पद के ही नौकरी भी ज्वाइन कर ली। इन 187 पदों के लिए आवेदन 2013 में मांगा गया था। ऐसे ही अन्य विषयों के पदों पर चयन प्रक्रिया चल रही है। समाजवादी पार्टी की सरकार में वर्ष 2016 में भी टीजीट-पीजीटी के पांच उन नए विषयों का विज्ञापन निकाला गया, जिसकी पढ़ाई कॉलेजों में नहीं होती।
इस मामले का खुलासा होते ही बोर्ड में हड़कंप मच गया। चयन बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल व उपसचिव नवल किशोर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 2016 के आठ विषयों के विज्ञापन को निरस्त कर दिया है। इमें टीजीटी के छह विषयों के 318 पद और पीजीटी के दो विषय शामिल हैं। इन 320 पदों के लिए 69 हजार 297 लोगों ने आवेदन किया था। हालांकि, बोर्ड ने निरस्त हो चुके विषयों में आवेदन कर चुके लोगों को अपनी योग्यता के अनुसार अन्य विषयों के पदों पर नि:शुल्क आवेदन का विकल्प दिया है। वहीं अन्य लोगों से आवेदन के समय लिया गया पैसा वापस कर दिया जाएगा। वहीं, इन आठ विषयों में आवेदन करने वाले लोगों को दुबारा आवेदन का मौका देने की वजह से लिखित परीक्षा को दूसरी बार स्थगित कर दिया गया है। पहले यह परीक्षा 27, 28 व 29 सितंबर को होने वाली थी। बता दें कि टीजीटी के जीव विज्ञान, संगीत, काष्ठ संगीत, पुस्तक कला, टंकण, आशु टंकण और पीजीटी के वनस्पति विज्ञान, संगीत शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनसार, चयन बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि माध्यमिक काॅलेजों में जिन विषयों की पढ़ाई नहीं होती, उन पदों पर विज्ञापन निकालने वालों को की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। किसी तरह की कार्रवाई से पहले कानूनी राय ली जाएगी।