हमेशा याद रहेगी ‘अनवर’ की ‘गीता’
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान भव्य गोष्ठी का आयोजन
लखनऊ: श्रीमद भगवद गीता को उर्दू शायरी की माला में पिरोने वाले साहित्यकार एवं शायर पद्मश्री स्व. अनवर जलालपुरी के 71वें जन्मदिवस पर आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में "शायरी और दानिशवरी का संगम : अनवर जलालपुरी" के शीर्षक से उनकी याद में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन उ.प्र. हिन्दी संस्थान परिसर में स्थित "निराला सभागार", लखनऊ में किया गया l
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में इलाहबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के माननीय न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन शामिल हुए, संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अनवर जलालपुरी क़ौमी एकता के अलमबरदार थे उनके अंदर मानवीय हमदर्दियां कूट-कूट कर भरी थी, साथ ही वह राष्ट्रवाद एवं भाषाई एकता के पक्षधर थे I उनकी शायरी में जगह-जगह इंसानियत कि हिफाज़त, भाईचारे का पैग़ाम मिलता है तो साथ ही में राष्ट्र की एकता और अखंडता को कायम रखने की भरपूर कोशिश भी नज़र आती है l निःसन्देह मानवीय भावना को दिल से महसूस करने वाला व्यक्ति ही अच्छा शायर,कवि और लेखक हो सकता है और ज़नाब अनवर साहब में यह भावना कूट-कूट कर भरी थी।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उ.प्र. उर्दू अकादमी की अध्यक्षा पद्मश्री प्रो. आसिफा ज़मानी ने अनवर जलालपुरी को याद करते हुए कहा कि अनवर जलालपुरी ने मुशायरों में उम्र के आखिरी लम्हों तक उर्दू कि तहज़ीब को ज़िन्दा रखा I मुशायरों में उनकी गुफ्तगू से सुनने वालों को इल्म हासिल होता था, उन्होंने उर्दू अदब में बहुत ही नुमाया और ना भूलने वाला योगदान किया है, उन्हें जिस प्रकार से कई भाषाओँ के साहित्य का उर्दू शायरी में अनुवाद किया वैसा अदब का काम देश की आज़ादी के बाद किसी उर्दू के साहित्यकार ने पहली बार किया l
सीनियर पी.सी.एस. अधिकारी और शायर मनीष शुक्ला ने कहा कि जब भी हिन्दुस्तान के मुशायरों का ज़िक्र छिड़ेगा अनवर जलालपुरी साहब का नाम अव्वल-अव्वल रहेगा उन्होंने हमारी शेर-ओ-अदब की विरासत को नई नस्ल तक पहुंचाने का सराहनीय काम किया है l
अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा अनवर जलालपुरी हिन्दी की नई पीढ़ी के लिये उर्दू के शब्द कोष थे और उनकी ख़ास बात ये थी कि वह किसी भी विषय को विस्तार से समझाते थे और राष्ट्रीय एकता और बंधुत्व का प्रयास उनकी रचनाओं एवं भाषणों में सदा रहता था l हिन्दी और उर्दू गद्य का उनका ज्ञान अतुलनीय था l
आयुष्य चिकित्सा के पूर्व निदेशक डा. हस्सान नगरामी ने कहा कि अनवर जलालपुरी एक ऐसे महान कवि थे जिन्होंने सामाजिक एवं भाषाई और राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने का माध्यम अपनी कविताओं को बनाया l श्रीमद भगवद गीता एवं क़ुरआन शरीफ के तीसवें अध्याय को उर्दू शायरी का जामा पहनाया l
उच्चन्यायालय लखनऊ पीठ के रजिस्ट्रार महेन्द्र भीष्म ने अनवर जलालपुरी के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि अनवर जलालपुरी जी जो साहित्यिक थाती छोड़कर गए हैं, आने वाली पीढ़ियों को उससे मार्गदर्शन प्राप्त होगा l
हिन्दी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि उदय प्रताप सिंह ने कहा कि अनवर जलालपुरी हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब के अलमबरदार थे, उन्होंने जीवन भर देश की एकता भाईचारे का सन्देश दिया, उनको हिन्दुस्तान के विभिन्न भाषाओँ के साहित्य का ज़बरदस्त ज्ञान था, उन्होंने साहित्य और कविता को हमेशा स्तरीय बनाये रखा l
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक/प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने संगोष्ठी में आये हुए सभी लोगों को धन्यवाद दिया एवं संगोष्ठी में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की जानिब से आये हुए सभी सम्मानित वक्ताओं को 'स्मृति चिन्ह' प्रदान करके सम्मानित किया गया l