नई दिल्ली: दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारों की लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर विवाद कायम है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसी पर कहा है कि अफसर कोर्ट का कहना नहीं मान रहे हैं। ऐसे में लोकतंत्र कैसे चलेगा? आदेश अच्छा लगे या नहीं, उसे तो मानना ही पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को केंद्र और उप राज्यपाल अनिल बैजल से सहयोग की सख्त जरूरत है।

आपको बता दें कि दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच प्रशासनिक अधिकारों की जंग पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई थी। पांच जजों की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि उप राज्यपाल के पास स्वतंत्र अधिकार नहीं है। उन्हें राज्य की कैबिनेट और उसके मंत्रिमंडल के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्हें प्रशासनिक कामकाज में बाधा नहीं पैदा करनी चाहिए। कोर्ट ने इसके अलावा साफ किया था कि हर मामले में एलजी की मंजूरी जरूरी नहीं होगी।

गुरुवार (पांच जुलाई) को सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने कल फैसले में तीन चीजें स्पष्ट की थीं। कहा था कि केंद्र का तीन चीजों पर अधिकार है। यह भी स्पष्ट किया कि बाकी मामले उसके अधिकार से बाहर होंगे। यानी उन चीजों पर फैसले लेने का अधिकार विधानसभा और दिल्ली के मंत्रिमंडल के पास होगा। फिर भी अफसर कह रहे हैं कि गृह मंत्रालय का आदेश नहीं आया है, तो यह खुले आम अवमानना है।”

उनका कहना है, “संवैधानिक पीठ के आदेश के बाद उसे न मानने की गुंजाइश कहां बचती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर कल के आदेश (एलजी के पास तीन विषय की फाइलें जाएंगी) के बाद भी एलजी सर्विस की फाइल साइन करेंगे, तो क्या वह जान-बूझकर संवैधानिक पीठ के आदेश की अवमानना करेंगे? मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा करेंगे।”

बकौल डिप्टी सीएम, “हमारा केंद्र सरकार और एलजी साहब से अनुरोध है कि सब लोग साथ मिलकर जनता के लिए काम करें। अगर अफसर कहना नहीं मानेंगे, तो सरकार कैसे चलेगी? हम वकीलों से भी इस मामले में सलाह ले रहे हैं।” बुधवार को सीएम इस बाबत चिदंबरम, गोपाल सुब्रमण्यम से मिले हैं।