‘एक्टिंग DGP की नियु्क्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है’
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे कहीं भी एक्टिंग DGP नियुक्त नहीं करेंगे. ये कदम उठाना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य पद रिक्त होने से तीन महीने पहले UPSC को टॉप IPS अफसरों की सूची भेजेंगे. राज्य उसी अफसर को DGP बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं. दरअसल वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल होगा. सुनवाई के दौरान AG के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को एक्टिंग DGP नियुक्त करते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित DGP बना देते हैं, क्योंकि इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं. सिर्फ पांच राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक DGP की नियुक्ति के लिए UPSC से अनुमति ली है, जबकि 25 राज्यों ने ये नहीं किया.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पुलिस सुधार पर दिया गया आदेश लागू नहीं करने पर दायर की गई अवमानना याचिका की सुनवाई कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए अदालत के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है. अदालत ने डीजीपी और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश की थी. साल 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में अदालत द्वारा दिए गए आदेश को लागू नहीं किया गया है. दूसरी तरफ, अश्विनी उपाध्याय ने मॉडल पुलिस बिल 2006 को भी लागू करने की मांग की. पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बिल का मसौदा तैयार किया था. उपाध्याय के अलावा पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी 2014 में अवमानना याचिका दायर की थी. पूर्व डीजीपी ने 1996 में जनहित याचिका दायर की थी। जिसके कारण पुलिस सुधार बिल को तैयार किया गया था. अदालत ने प्रकाश सिंह और दूसरे डीजीपी एनके सिंह की याचिका पर 2006 में निर्देश दिया था. इसमें राज्य सुरक्षा अयोग का गठन किया जाना भी शामिल था.