नई दिल्ली: पासपोर्ट आवेदनकर्ताओं को एड्रेस वेरिफिकेशन यानी पता सत्यापन के लिए अब पुलिस स्टेशन नहीं जाना पड़ेगा और न ही पुलिसवाले उनके दरवाजे पर आएंगे। विदेश मंत्रालय ने पुलिस रिपोर्ट के लिए पता सत्यापन प्रकिया को हटा लिया है। नई प्रक्रिया के तहत पुलिस को किसी तरह की पूछताछ के लिए आवेदनकर्ताओं को बुलाने या उनके घर जाने की जरूरत नहीं होगी। अहमदाबाद की रीजनल पासपोर्ट अधिकारी नीलम रानी ने मीडिया को बताया कि कई आवेदनकर्ता यह शिकायत कर चुके हैं कि पासपोर्ट के लिए जरूरी एड्रेस वेरिफिकेशन के लिए पुलिसवालों के द्वारा उनका उत्पीड़न कर लिया जाता है। इससे प्रक्रिया में देरी होती है। इसलिए विदेश मंत्रालय ने नियमों में ढील दी है। रानी ने बताया कि पुलिस को आवेदक के साथ कोई संपर्क किए बिना जांच करनी होगी कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि रही है या नहीं, इसके बाद उसे रीजनल पासपोर्ट ऑफिस को वापस सूचना देनी होगी। ऐसा पुलिस रिकॉर्ड्स की जांच करके किया जाएगा।

पासपोर्ट अधिकारी के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने पुलिस सत्यापन में पुलिस उत्पीड़न की शिकायतों को दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ”इसे 1 जून को एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था और पुलिस रिपोर्ट में नए बदलावों की व्याख्या करने के लिए हमने पुलिस के साथ बैठक की थी। मंत्रालय को यकीन है कि कुछ लोग ही धोखाधड़ी में लिप्त हैं और उनके लिए हम दूसरे लोगों को मुश्किल स्थिति में नहीं रख सकते हैं। हम उनको रोकने के लिए उपाय करेंगे।”

बता दें कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बीते मंगलवार (26 जून) को एमपासपोर्ट सेवा मोबाईल ऐप लॉन्च किया था। इस ऐप के माध्यम से आवेदक देश के किसी भी कोने से पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकता है। एक आधिकारिक बयान में इस बात की जानकारी दी गई। एमपासपोर्ट सेवा ऐप छठे पासपोर्ट सेवा दिवस के मौके पर लॉन्च किया गया था। यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस मंच पर उपलब्ध है और इसके जरिए आवेदक आवेदन, भुगतान और पासपोर्ट सेवा के लिए मुलाकात का समय सुनिश्चित कर सकता है। बयान में कहा गया था, “इस एमपासपोर्ट सेवा ऐप के लॉन्च के साथ नागिरकों को पासपोर्ट सेवा के लिए आवेदन करते वक्त कंप्यूटर और प्रिंटर की जरूरत नहीं रहेगी।”