जेडीयू का BJP को अल्टीमेटम
सहयोगियों की जरूरत नहीं तो अकेले लड़ेगी चुनाव
नई दिल्ली: जेडीयू नेता संजय सिंह ने कहा कि राज्य बीजेपी नेता जो हेडलाइन बनना चाहते है उन्हें नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। 2014 और 2019 के चुनाव में काफी अंतर है। बीजेपी यह जानती है कि बिना नीतीश जी के यह संभव नहीं है। अगर बीजेपी को सहयोगियों की जरूरत नहीं है तो वे बिहार की सभी 40 सीटों पर लड़ लें।
इससे पहले जेडीयू कह चुकी है कि नीतीश के भाजपा के साथ आने के बाद 2009 की स्थिति बन गई हैं, तब जेडीयू 25 व भाजपा 15 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। दूसरी तरफ भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव के आधार पर नया समझौता करना चाहती है। 2014 में भाजपा ने 22 सीटें, लोजपा ने छह व रालोसपा ने तीन लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।
गौरतलब है कि 2013 में जेडीयू के भाजपा के साथ रहने तक वह लोकसभा व विधानसभा सीटों दोनों में बड़े भाई की भूमिका में था। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के बाहर जाने के बाद भाजपा, लोजपा व रालोसपा को 40 में 31 सीटों पर जीत मिली थी और अलग लड़ी जेडीयू दो पर सिमट गई थी। ऐसे में जेडीयू को सीटें बढ़ाकर देने को लेकर अन्य दलों में बैचेनी है।
हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि महागठबंधन में सीटों को लेकर जल्द बातचीत होगी। समन्वय समिति की मांग भी नेता के सामने रखी जा चुकी है।मांझी पार्टी के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन रविवार को 12 एम स्ट्रैंड रोड में किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी सबसे बड़े दलित विरोधी हैं। उनके चलते ही हमें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। दलित रैली करने का उन्हें अधिकार नहीं है। कहा कि आज हमारी पार्टी का जनाधार बढ़ा है। लिहाजा सभी दल अपने साथ लेने पर चर्चा करते हैं। हम पार्टी दलित, गरीबों, किसानों, छात्रों, अकलियतों, पिछड़ों, बेरोजगार युवकों व महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी।