बीजेपी 2019 को 2014 समझने की भूल न करे: जेडीयू
नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने आगामी लोकसभा (2019) और विधान सभा चुनाव (2020) के लिए सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द करने की सलाह बीजेपी को दी है। पार्टी सूत्रों ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के सबसे बड़े घटक दल बीजेपी बिहार में सीट बंटवारे पर जितनी जल्दी हो सके एनडीए सहयोगियों के बीच डील पक्की कर ले ताकि समय रहते पार्टियां आगे की तैयारी कर सकें। एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी ने यह भी कहा है कि बीजेपी 2019 को 2014 समझने की भूल न करे। पार्टी नेता ने कहा कि हाल के उप चुनावों ने साफ कर दिया है कि 2014 की स्थिति और हवा अब देश में नहीं रही। लोगों का मूड अब बदल रहा है। हालांकि, पार्टी सूत्रों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया कि जेडीयू कितनी सीटों पर डील चाहती है। गोपनीयता की शर्त पर पार्टी नेता ने कहा कि हमलोग चाहते हैं कि एनडीए के सभी दल बैठकर सीटों का बंटवारा कर लें।
बता दें कि पिछले दिनों जेडीयू की एक उच्च स्तरीय बैठक मुख्यमंत्री आवास पर हुई थी जिसके बाद पार्टी महासचिव के सी त्यागी ने कहा था कि बिहार में जेडीयू एनडीए गठबंधन में बड़े भाई को भूमिका निभाएगा। त्यागी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए 25 सीटों की दावेदारी भी ठोकी थी। हालांकि, एनडीए के दूसरे घटक आरएलएसपी ने जेडीयू को बड़ा भाई मानने से इनकार कर दिया था। इधर, पार्टी ने बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए राजनीतिक कदम तेजी से उठाना शुरू कर दिया है। इसके तहत पार्टी अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार अगले महीने 7 जुलाई को दिल्ली में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। 8 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भी बैठक बुलाई गई है। इसके अगले दिन पार्टी नेता विशेष राज्य की मांग पर धरना देंगे। इस सिलसिले में सीएम अगले महीने गृह मंत्री से भी मिलेंगे।
2014 से 2019 तक राजनीतिक स्थिति में आए बदलाव के बारे में चर्चा करते हुए जेडीयू नेता ने कहा कि तब एनडीए गठबंधन ने 40 में से 31 लोकसभा सीटें जीती थीं लेकिन अगले ही साल हुए विधान सभा चुनावों में उनकी जीत का सिलसिला थम सा गया। बता दें कि 2015 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने 53 सीटें जीती थीं जबकि लोकसभा में अकेले 22 सीटें जीती थीं। एनडीए की दूसरी सहयोगी पार्टी रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी के छह सांसद चुने गए थे लेकिन विधान सभा में मात्र दो विधायक ही जीत पाए। तीसरी सहयोगी पार्टी उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी ने तीन संसदीय सीटें जीती थीं लेकिन असेंबली इलेक्शन में दो ही जीत सके। जेडीयू नेता ने कहा कि इससे साफ है कि साल भर में ही एनडीए की लोकप्रियता घटने लगी थी इसलिए 2014 का सीट शेयरिंग या सीटिंग कैंडिडेट का फार्मूला आधारहीन है। पार्टी ने मौजूदा राजनीतिक हालात को ध्यान में रखते हुए सीट बंटवारे पर जोर दिया है।