‘इंडियन आशीर्वाद सर्विस नहीं बन सकता IAS’
लैटरल एंट्री के तहत ज्वॉइंट सेक्रेटरी की भर्ती की योजना के खिलाफ प्रदर्शन शुरू
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की 10 मंत्रालयों में लैटरल एंट्री के तहत ज्वॉइंट सेक्रेटरी की भर्ती की योजना के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया है. इस योजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि इससे यूपीएससी एक असहाय संस्था बन जाएगी और आरक्षण व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचेगा. सरकार ने हाल ही में विज्ञापन देकर निजी क्षेत्र से ज्वॉइंट सेक्रेटरी के पदों के लिए आवेदन मांगे थे. इसमें कहा गया था कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों या कॉर्पोरेट घरानों में काम कर रहे प्रतिभावान अधिकारी प्रशासनिक सेवाओं में सीधे भर्ती किए जा सकते हैं.
सरकारी कर्मचारियों और कार्यकर्ताओं के एडहॉक ग्रुप 'रोजगार मांगे इंडिया' ने गुरुवार को दिल्ली में प्रदर्शन किया और आईएएस को 'इंडियन आशीर्वाद सर्विसेज' नहीं बनने देने के नारे लगाए. उनका कहना था कि इस कदम से बहुराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़े हुए सरकार के वफादार और विश्वस्त लोग जो बीजेपी के 2019 के प्रचार में पैसा लगा सकते हैं उन्हें ही नियुक्त किया जाएगा. प्रदर्शनकारी लोगों ने सरकार के इस कदम को यूपीएससी को दरकिनार करने के लिए सोचा समझा कदम बताया.
ग्रुप के सदस्य नीरज कुमार ने बताया, 'यूपीएससी कर्मचारियों का चयन करती थी. अब इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि उन्हें कौन नियुक्त करेगा. सरकार खुद अपने सदस्यों की नियुक्ति करेगी. यूपीएससी में भी 40 फीसदी सीटें कम कर दी गई हैं. उसकी कोई स्वतंत्रता और स्वायत्तता नहीं रह जाएगी.' इसके साथ ही लैटरल एंट्री प्रक्रिया में आरक्षण के बारे में भी सवाल किया गया.
ग्रुप की संयोजक सुचेता डे ने कहा, 'इस प्रक्रिया में आरक्षण का क्या होगा. संविधान की धारा 315 से 323 तक इसका जिक्र है. लेकिन इस सरकार में संविधान को बाहर कर दिया गया है. अपने अधिकारी नियुक्त करने के लिए आप संविधान को क्यों बर्बाद कर रहे हैं. ज्वॉइंट सेक्रेटरी काफी अहम होते हैं और उन्हें आरक्षण से दूर रखने से आरक्षण की संवैधानिक भावना नष्ट हो जाएगी.'
यूपीएससी की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी ने कहा, 'वे प्रतिभावान, प्रेरणादायी और देश से प्यार करने वाले लोगों को चाहते हैं. इसलिए सरकार के हिसाब से यूपीएससी बेकार है और भर्ती का फैसला वह खुद करेगी.'
बता दें कि ज्वॉइट सेक्रेटरी केंद्र सरकार के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं. वे नीति निर्माण के साथ ही योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने की जिम्मेदारी संभालते हैं. प्रदर्शनकारी ग्रुप का कहना है कि यूपीएससी रैंक के आधार पर काडर आवंटित करती थी लेकिन अब सरकार ने इसे परफॉर्मेंस पर आधारित कर दिया है.
इससे पहले नीति आयोग ने अधिकारियों की कमी का सामना करने के लिए ज्वॉइंट सेक्रेटरी के पदों पर पेशेवर लोगों की लैटरल एंट्री की सिफारिश की थी. यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी साल 2015 में पेशेवर लोगों की भर्ती की सिफारिश की थी.