नन्हा सा फालसा है बड़े काम की चीज़
फालसा न केवल लू से बचाता है, बल्कि यह तेज धूप से चेहरे के जलन और कालेपन को दूर करने के साथ ही हृदय रोग, मघुमेह और लीवर रोग के लिए लाभदायक है। फालसा एक से दो सेन्टीमीटर आकार का गोल फल है जो कच्चे में बैगनी, लाल, पीला और पकने पर काले रंग का हो जाता है। शरीर में पानी की कमी दूर करने और ठंडी तासीर वाले इस फल में कई प्रकार के विटामिन के साथ ही अनेक तरह के खनिज पदार्थ होते हैं जो इसके औषधीय गुणों को बढ़ा देते हैं।
बंजर, ऊसर और असिंचित क्षेत्र में फालसे के पेड़ आसानी से लग जाते हैं और भरपूर उत्पादन भी देते हैं। फालसे में 14.7 ग्राम काबोर्हाईड्रेट, 1.3 ग्राम प्रोटीन, 0.9 ग्राम वसा, 1.2 ग्राम रेसा, 419 माइक्रोग्राम बीटा कैरोटिन, 0.3 मिलीग्राम विटामिन बी 3 और 22.0 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है। इसके अलावा इसमें 3.1 मिलीग्राम आयरन, 3.51 मिलीग्राम पोटेशियम, 4.0 मिलीग्राम सोडियम, 129 मिलीग्राम कैल्शियम और 39 मिलीग्राम फास्फोरस भी पाया जाता है।
एक से दो माह तक मिलने वाला खट्टा-मीठा फल फालसा इन दिनों बाजार में उपलब्ध है। इसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसका भंडारण दो से तीन दिन तक ही किया जा सकता है। फालसे से जैम, चटनी और अचार तैयार किये जा सकते हैं।