तनिष्क देश में पहली ज्वेलर थी, जिसने नये भारतीय आभूषण खरीदारों की बदलती जरूरतों को समझा। उसने आधुनिक, नई डिजाइन वाले और अधिक हल्के वजन वाले सोने के आभूषणों का निर्माण किया। इन आभूषणों को सिर्फ खास अवसरों पर ही नहीं, बल्कि हर दिन पहना जा सकता है।

भारत में असंगठित आभूषण बाजार 90 प्रतिशत है और इसलिये ग्राहकों द्वारा मिलावटी गहनों की खरीदारी करने की आशंका बनी रहती है। तनिष्क की अपनी शुरूआत से ही मानना है कि ग्राहकों को प्रत्येक 25 से 30 महीनों में एक बार अपने सोने के गहनों को अपग्रेड कर लेना चाहिये। क्योंकि: इससे ग्राहक नये ट्रेंड्स एवं डिजाइन के गहने पा सकते हैं और इससे उन्हें अपनी जरूरतों एवं पसंद के अनुसार आभूषण खरीदने में मदद मिलती है

स्थानीय आभूषण निर्माताओं सहित कई ज्वेलर्स एक्सचेंज स्कीम्स चलाते हैं, ताकि ग्राहकों को नये आभूषण खरीदने के लिये आकर्षित किया जा सके। तनिष्क भारत में पहले ज्वेलर हैं, जिसने एक्सचेंज पाॅलिसीज और तरीकों की पेशकश की थी। इन नीतियों ने भारतीय आभूषण बाजार को एक नई परिभाषा दी और समूची एक्सचेंज प्रक्रिया को अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी बनाया।

भारतीयों को आभूषण खरीदने की योजना पहले से बनाना अच्छा लगता है। तनिष्क की नई पाॅलिसी से लोगों को अपने पुराने गहनों के बदले नये आभूषणों को खरीदने का फायदा मिलेगा। टाइटन के हाॅलमार्क और टाटा ग्रुप के आश्वासन के साथ तनिष्क हमेशा से ही सबसे शुद्ध आभूषणों की पेशकश करने में अग्रणी रही है। पुराने सोने के गहनों को तनिष्क से एक्सचेंज करना ग्राहकों के लिये बेहद फायदेमंद होता है, क्योंकि पुराने सोने पर 100 प्रतिशत मूल्य प्राप्त करें एक्सचेंज पर 0 प्रतिशत कटौती (14 कैरेट और उससे अधिक की प्योरिटी पर)