नई दिल्ली: हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार से नाराज भारी तादात में दलितों ने धर्म परिवर्तन कर लिया। इन लोगों का कहना है कि सरकार दलितों को सुरक्षा मुहैया कराने के अपने वादे का पालन करने में नाकाम रही। टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक जींद जिले के दलित समुदाय के 120 लोगों ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। दलित समुदाय के द्वारा इतनी भारी तादात में धर्म परिवर्तन राज्य सरकार के खिलाफ 113 दिनों के प्रदर्शन के बाद किया गया। दलितों के इस कदम से माना जा रहा है कि यह खट्टर सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। सूबे में बौद्ध धर्म में शामिल हुए सैकड़ों दलितों का कहना है कि खट्टर सरकार में उनकी बेकद्री हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा के मंत्रियों का कहना है कि लोग अपने फैसले के पीछे बिना असल कारण बताए धर्म परिवर्तन करने के लिए स्वतंत्र हैं। बता दें कि पहले जाट समुदाय भी मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर चुका है।

जाट नेताओं ने यहां तक कहा था कि सूबे में चुनाव से पहले वे बीजेपी की कोई भी रैली नहीं होने देंगे। विपक्ष का कहना है कि दलित और अन्य समुदायों को ताक पर रखना बीजेपी की नीति है और इसीलिए वे सरकार से खुश नहीं हैं। दलित नेता दिनेश खापड़ ने मीडिया को बताया कि बीते 7 मार्च को सरकार से मांग रखी गई थी कि दलितों की मांगें 10-15 दिनों में पूरी की जाएं। 20 मई को सरकार को अंतिम चेतावनी दी गई कि अगर मुख्यमंत्री दलितों की मांगें नहीं मानते हैं तो वे बौद्ध धर्म में चले जाएंगे।

खापड़ ने आगे कहा कि मनोहर लाल खट्टर 27 मई को जींद पहुंचे लेकिन वह समुदाय के किसी सदस्य से नहीं मिले, तब दलितों ने दिल्ली के लिए कूच किया और परिणाम स्वरूप राजधानी के लद्दाख भवन में बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। बीते एक जून को हरियाणा में किसाने ने फलों-सब्जियों और दूध को न बेचकर खट्टर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस पर सरकार के द्वारा कहा गया था कि किसानों की सभी समस्याएं दूर की जा रही हैं, उन्हें भड़काया जा रहा है। सीएम खट्टर ने कहा था कि किसान फलों-सब्जियों और दूध को न बेचकर अपना ही नुकसान करेंगे।