MGNREGA की शीर्ष कमेटी में RSS के लोग
नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी (MGNREGA) अधिनियम के कार्यान्वयन पर नजर रखने वाली काउंसिल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मैगजीन पांचजन्य के संपादक, कुछ हिन्दू आध्यात्मिक संगठनों के सदस्य व एक ड्रोन कंपनी के मालिक का नाम शामिल है। इन्हें ”विभिन्न राज्यों से गैर-आधिकारिक सदस्यों” का दर्जा दिया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मई, 2018 में जारी एक नोटिफिकेशन में केंद्रीय रोजगार गारंटी काउंसिल (CEGC) का एक वर्ष के लिए गठन किया, जिसका कार्यकाल 20 जून से शुरू हो रहा है। CEGC का गठन 2005 के इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर निगरानी रखने के लिए किया गया था। यह अधिनियम हर ग्रामीण घर को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी देता है।
वर्तमान सरकार के अंतिम साल के लिए कमेटी में जिन्हें रखा है, उनमें पांचजन्य साप्ताहिक के संपादक, हितेश सोनकर प्रमुख हैं। उन्हें दिल्ली से गैर-आधिकारिक सदस्य नामित किया गया है। उत्तराखंड से मंत्रालय ने संजय चतुर्वेदी का नाम तय किया है जो डिवाइन इंटरनेशनल फाउंडेशन (DIF) के संयोजक हैं। यह संस्था खुद को ”दिव्य प्रेम सेवा मिशन” की एक अलग इकाई बताती है जिसे संघ प्रचारक आशीष गौतम ने शुरू किया है। हरिद्वार के इस मिशन ने योग गुरु रामदेव की पतंजलि को अपने सीएसआर पार्टनर्स की सूची में रखा है।
कन्याकुमारी के विवेकानंद केंद्र से जी वासुदेव को भी नामित किया गया है। हिन्दू आध्यात्म से जुड़ी इस संस्था की नींव 70 के दशक में वरिष्ठ संघ प्रचारक, एकनाथ रानाडे ने डाली थी। इसकी वेबसाइट पर हालिया गतिविधियों में, पिछले साल राजस्थान में ‘हिन्दू राष्ट्र की पुकार के लिए सामूहिक चर्चा’ का जिक्र किया गया है। CEGC में बीजेपी सदस्य सुधीर अग्रवाल का भी नाम है, जो अपनी वेबसाइट पर खुद को ”कई स्वैच्छिक संगठनों के संघ संस्थापक-अध्यक्ष” और ”बचपन से स्वयंसेवक” बताते हैं।
CEGC के अन्य सदस्यों में बेंगलुरु की HUVI एअर टेक्नोलॉजीस प्राइवेट के सीईओ विक्षुत मुंदकुर का भी नाम है, जो ‘कंस्ट्रक्शन कंपनियों को ड्रोन डाटा के आधार पर जरूरी जानकारियां मुहैया’ कराते हैं। इसके अलावा पुणे की Primo Engineering कंपनी के निदेशक संतोष रघुनाथ गोंधालेकर भी इस काउंसिल के सदस्य हैं। यह कंपनी एग्रीकल्चरल वेस्ट से बायोगैस निकालती है।
यह सभी सदस्य ”विभिन्न राज्यों से गैर-आधिकारिक सदस्यों” की सूची में आते हैं, जो सूत्रों के अनसार, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। यह सदस्य राज्य सरकारों और पंचायती राज संस्थाओं से इतर नियुक्त किए जाते हैं। काउंसिल की संरचना के विषय में मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा विषय से जुड़ाव रखने वालों की विविधता सुनिश्चित करने के लिए गया है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब CEGC में विशेषज्ञता को दरकिनार कर राजनैतिक नियुक्तियां की गई हों। यूपीए-2 के दौरान 2009 में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री, सीपी जोशी ने CEGC को कांग्रेस के सदस्यों से भर दिया था। 14 गैर-आधिकारिक सदस्यों में से, जोशी ने 6 कांग्रेस सांसदों के अलावा पार्टी के 2 अन्य नेताओं को CEGC का सदस्य बना दिया था। इसे तब सुधारा गया जब जोशी को मंत्रालय से हटाया गया।