चार राज्यों में कांग्रेस करेगी इन क्षेत्रीय दलों से गठबंधन
नई दिल्ली: देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस मिशन 2019 के तहत सभी क्षेत्रीय दलों के संपर्क में है। कैराना उप चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस ने तय कर लिया है कि वो गोरखपुर और फूलपुर जैसी गलती नहीं दोहराएगी बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर बीजेपी को हराने के लिए कमर कसेगी। कांग्रेस चार राज्यों पर विशेष जोर दे रही है, जहां साल 2014 के चुनावों में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की कुल 177 लोक सभा सीटों में से कांग्रेस को केवल आठ सीटों पर ही 2014 में जीत मिली थी। झारखंड में तो कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका था, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश से दो-दो और पश्चिम बंगाल से चार सीटें जीती थीं। इस लिहाज से कांग्रेस इन चारों राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों से गठजोड़ कर कम से कम 30 सीटों पर अपनी जीत चाहती है। इसके लिए पार्टी बड़े चेहरों को चुनाव में उतारने पर विचार कर रही है ताकि जीत सुनिश्चित हो सके।
उत्तर प्रदेश में कैराना-नूरपुर उप चुनाव में जीत से गदगद कांग्रेस उसी गठजोड़ को साल 2019 तक जारी रखना चाहती है। बता दें कि इस उप चुनाव में सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन हुआ था। कांग्रेस की कोशिश है कि यह गठबंधन 2019 तक कायम रहे। राजनीतिक समीक्षकों का भी मानना है कि अगर यह गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव तक जारी रहा तो यूपी की 80 सीटों में से बीजेपी 20 तक सिमट सकती है जो फिलहाल 71 सीटों पर काबिज है। कांग्रेस बिहार में राजद, एनसीपी और हम के साथ गठबंधन में रहेगी। पार्टी वहां पिछले चुनाव में भी गठबंधन में थी और 40 में से दो सीटें जीती थीं। झारखंड में कांग्रेस पिछला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ी थी लेकिन अब मुख्य विपक्षी दल जेएमएम और जीवीएम के साथ चलने को तैयार है।
कांग्रेस के लिए मुश्किल पश्चिम बंगाल में है, जहां अभी तक गठबंधन की रूपरेखा स्पष्ट नहीं हो सकी है। पार्टी चाहती है कि वहां सत्तारूढ़ टीएमसी से गठबंधन कर अधिक से अधिक सीटें जीतें मगर सीटों का बंटवारा रास्ते का रोड़ा बना हुआ है। कांग्रेस वहां दूसरे विकल्प के तौर पर सीपीएम-सीपीआई के साथ भी बात कर रही है लेकिन इतना स्पष्ट है कि कांग्रेस वहां भी गठबंधन के तहत ही आम चुनाव लड़ेगी। इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सीटों के बंटवारे को लेकर नया राग छेड़ा है। वो यूपी की 80 में से 40 सीटें चाहती हैं। बता दें कि 2014 में बसपा का एक भी उम्मीदवार लोकसभा नहीं पहुंच सका था।