23 प्रतिशत युवा कूल दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं: आईसीआईसीआई लोम्बार्ड सर्वे
वर्ल्ड नो टोबैको डे के अवसर पर, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने एक अनूठा सर्वेक्षण शुरू किया। इस अध्ययन में धूम्रपान की प्रवृत्तियों और अपनी धूम्रपान की आदतों के बारे में बताते हुए युवा एवं अधिक उम्र के धूम्रपानकर्ताओं के व्यवहार का पता लगाया गया। यह सर्वेक्षण एक संरचित प्रश्नावली का उपयोग कर चार महानगरों के 1000 प्रतिक्रियादाताओं पर आॅनलाइन किया गया।
इस सर्वेक्षण में कुछ कठोर तथ्य उभरकर सामने आये, जिसमें 20-35 वर्ष की आयु समूह के युवाओं और 35-50 वर्ष की आयु समूह के अधेड़ व्यक्तियों के धूम्रपान की प्रवृत्ति में अंतर देखने को मिला। औसतन, युवा आयु वर्ग के प्रतिक्रियादाता एक दिन में 7 सिगरेट पीते हैं, जबकि मध्यम आयु के वयस्क एक दिन में 5 सिगरेट पीते हैं। परिणामस्वरूप, 20-35 वर्ष का प्रतिक्रियादाता 36-50 वर्ष की उम्र के प्रतिक्रियादाता की तुलना में औसतन 28 प्रतिशत अधिक सिगरेट पीता है।
निकोटिन की अधिक मात्रा में सेवन की प्रवृत्ति के अलावा, युवा प्रतिक्रियादाताओं ने अधेड़ उम्र के लोगों की तुलना में अधिक मुखर एवं स्वीकार्य एप्रोच प्रदर्शित किया। 20-35 वर्ष के आयु समूह के 43 प्रतिशत प्रतिक्रियादाता अपनी धूम्रपान की प्रवृत्तियों को लेकर स्पष्ट हैं, जबकि 36-50 वर्ष के आयु समूह के केवल 27 प्रतिशत प्रतिक्रियादाता ही अपनी आदतों को लेकर स्पष्ट हैं। जहां 35-50 वर्ष की उम्र के प्रतिक्रियादाता अपनी धूम्रपान की आदत के बारे में बताने में संकोच करते हैं, वहीं ये युवा प्रतिक्रियादाता अपने साथियों के बीच इस आदत को शान से स्वीकार करते हैं।
इस सर्वेक्षण में सोशल मीडिया पर धूम्रपान संबंधी आदतों आदि का खुलासा करने की इच्छा को लेकर भी गहन शोध किया गया। निष्कर्षों से पता चलता है कि युवा सोशल मीडिया पर इस आदत को दिखाने में अधिक स्पष्टवादी हैं। 23 प्रतिशत प्रतिक्रियादाता (20-35 वर्ष) कूल दिखने के लिए धूम्रपान करते हैं, जो कि ऐसा करने वाले 35-50 वर्ष के प्रतिक्रियादाताओं की तुलना में काफी अधिक है। आगे, 15 प्रतिशत युवा प्रतिक्रियादाताओं ने धूम्रपान करते हुए अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना स्वीकार्य माना। इसके विपरीत, अधिक उम्र के प्रतिक्रियादाता इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि धूम्रपान व्यक्तिगत मामला है (53 प्रतिशत) और 23 प्रतिशत ने माना कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी इस आदत को नहीं दिखाना चाहिए।
व्यक्ति की भावनात्मक सोच अभी भी धूम्रपान को लेकर मुख्य कारक बनी हुई है। युवा समूह के प्रतिक्रियादाता तनाव से राहत पाने के लिए धूम्रपान करते हैं, जबकि 35-50 वर्ष के व्यक्ति कार्य के दबाव को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं। इस सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ कि धूम्रपान की प्रवृत्तियों पर जीवन की कुछ घटनाओं का भी प्रभाव पड़ता है, जिनके चलते व्यक्ति गंभीर रूप से धूम्रपान करने लगता है। नौकरी पाना ऐसी ही एक घटना है, 37 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने रोजगार पाने के बाद धूम्रपान का सेवन बढ़ा दिया। खराब स्वास्थ्य (25 प्रतिशत), शादी हो जाना (21 प्रतिशत) और बच्चा हो जाने के बाद (13 प्रतिशत) इस आदत में काफी गिरावट देखने को मिली। लिंग के आधार पर तुलना करने पर भी, भावनात्मक तनाव पुरूषों – महिलाओं की धूम्रपान आदतों में प्रमुख विभेदक था। 36-50 वर्ष के आयु समूह की महिलाएं अधिक धूम्रपान करती पाई गईं। सभी प्रतिक्रियादाताओं में से, 60 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उन्होंने धूम्रपान छोड़ने के लिए कभी भी कोशिश नहीं की, चूंकि यह उनके वश के बाहर की बात थी। बाकी जिन लोगों ने इस छोड़ने की कोशिश की, उन्होंने परिवार के दबाव और स्वास्थ्य संबंधी चिंता को सबसे बड़ा कारण माना।
सर्वेक्षण के बारे में प्रतिक्रिया जताते हुए, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी के चीफ – अंडराइटिंग, क्लेम्स एवं रीइंश्योरेंस, श्री संजय दत्ता ने कहा, ‘‘धूम्रपान की आदत चिकित्सकीय रूप से हानिकारक साबित हो चुकी है। यही नहीं, इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि युवा पीढ़ी इस आदत को अपना रही है, जिनमें से कुछ का मानना है कि इससे वो कूल दिखंेगे। धूम्रपान का कम उम्र के युवाओं और किशोरों पर गहरा असर होता है। यह आयु को कम करती है, गंभीर बीमारियों को जन्म देती है और सुखद एवं स्वस्थ जीवन की उनकी संभावना को चैपट कर देती है। इसलिए, हम धूम्रपान करने वालों को इसके प्रभावों के बारे में सचेत करने को अपनी जिम्मेवारी मानें और उनसे धूम्रपान छोड़ने की अपील करें।’’