सोनिया-राहुल से मिलकर कैबिनेट का गठन करेंगे कुमारस्वामी
बैंगलुरु: जेडीएस नेता कुमारस्वामी बुधवार (23 मई) को कर्नाटक सीएम पद की शपथ लेंगे। लेकिन इससे पहले वह दिल्ली में कांग्रेस दरबार में हाजिरी लगाएंगे। कुमारस्वामी सोमवार (21 मई) को दिल्ली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि कुमारस्वामी कांग्रेस आलाकमान के साथ चर्चा कर कैबिनेट में शामिल होने वाले कांग्रेस नेताओं के नाम और पार्टी को मिलने वाले मंत्रीपद की संख्या पर चर्चा करेंगे। सीएम पद के लिए निर्वाचित जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा, “कल मैं दिल्ली जा रहा हूं, जहां मैं सोनिया जी और राहुल जी से मिलूंगा. हमलोग कैबिनेट विस्तार पर चर्चा करेंगे, मैं उनलोगों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करूंगा ताकि 5 साल के लिए स्थायी सरकार दी जा सके।” सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में सीएम के साथ कुल 33 मंत्री शपथ लेंगे। इसमें 20 कांग्रेस और 13 जेडीएस के विधायक होंगे। बता दें कि 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में सीएम समेत 35 विधायक मंत्री बन सकते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस ने 78 जबकि जेडीएस ने 38 सीटें जीतीं हैं।
कुमारस्वामी ने बेंगलुरू में संवाददाताओं को बताया, “21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि होने के कारण कांग्रेस की सलाह पर मैंने शपथ ग्रहण समारोह 23 मई को कर दिया है। गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और उसके बाद विश्वास मत की तिथि तय की जाएगी।” उन्होंने कहा कि उन्हें अबतक कांग्रेस के रूख के बारे में पता नहीं है। शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने कांग्रेस नेताओं के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया है। जद(एस) अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन रहे हैं। इससे पहले वह चार फरवरी, 2006 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे और 20 महीनों तक मुख्यमंत्री पद पर रहे थे।
वहीं कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सरकार में शामिल होने के फार्मूले पर आलाकमान फैसला लेगी। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय दल होने के बावजूद हमने संवैधानिक सिद्धांतों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेडीएस जो कि एक क्षेत्रीय पार्टी है, को समर्थन किया, सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आपसी लेन-देन का समीकरण बनना चाहिए।