कुमारस्वामी ने सौंपा विधायकों का समर्थन पत्र, सोचकर बताएँगे राज्यपाल
नई दिल्ली: कर्नाटक में किसी को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में सरकार बनने को लेकर सस्पेंस जारी है। इधर कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर के नेताओं ने बेंगलुरु में राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। कुमारस्वामी ने राज्यपाल से मिलकर 117 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया है। मुलाकात के बाद कुमार स्वामी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को अपने विधायकों के समर्थन से संबंथित चिट्ठी सौंप दी है। कुमारस्वामी ने बतलाया कि राज्यपाल इस मामले में संविधान के तहत विचार कर फैसला लेंगे। इससे पहले बुधवार (16 मई) सुबह से ही बैठकों का दौर जारी रहा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और और जनता दल (सेक्युलर) व कांग्रेस सरकार का गठबंधन सरकार बनाने को लेकर जद्दोजहद करता दिखा। बीजेपी की बैठक में बीएस येदियुरप्पा को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। वह राज्यपाल वजुभाई से मिलने पहुंचे, जहां उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। वहीं, एचडी कुमारस्वामी को जेएडीएस की बैठक में विधायक दल का नेता चुना गया। जेडीएस विधायक दल के नेता एचडी कुमारस्वामी ने सख्त लहजे में भाजपा से कहा, ”अगर आप हमारे विधायकों का शिकार करने की कोशिश करेंगे तो हम भी वही करेंगे और आपसे दोगुने विधायक लेंगे।”
सूत्रों की मानें तो राज्यपाल बीजेपी को ही सरकार बनाने का न्योता देंगे। बीजेपी के साथ एक निर्दलीय विधायक भी है। बीजेपी नेता केएस ईवरप्पा ने इससे पहले कहा था कि कांग्रेस-जेडीएस के कुछ विधायक उनके संपर्क में है। बाद में कांग्रेस के लिंगायत नेता एमबी पाटिल ने कहा कि पार्टी में एकजुटता की बातें झूठ हैं। बीजेपी के छह लोग उनके संपर्क में हैं। हालांकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी उसके मंत्रियों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि पार्टी ने अपने 78 विधायकों को बेंगलुरू शिफ्ट करने का फैसला लिया है। बता दें कि मंगलवार (15 मई) को यहां चुनाव के नतीजे आए थे। बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। लेकिन बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा न होने से वह सरकार नहीं बना सकी थी।
224 सीटों में से यहां 222 पर चुनाव हुए थे। ऐसे में कर्नाटक में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 112 का आंकड़ा चाहिए। कांग्रेस 78 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही, जबकि जेडीएस के खाते में 37 सीटें आईं। वहीं, तीन सीटें अन्य के पास चली गईं। कर्नाटक में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस-जेडीएस एक हुई थीं।