सुल्तानपुर। जिला अस्पताल में करोड़ों की लागत से बनी और अत्याधुनिक
जीवनरक्षक प्रणाली के उपकरणों से सुसज्जित इमरजेन्सी का क्या फायदा जब
डाक्टरों के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हों। जी हां इसमें आश्चर्य करने की
कोई बात नहीं है। वर्तमान सीएमएस के चार्ज लेने के बाद जिला अस्पताल की
व्यवस्था और भी बदतर हुई है। रविवार की सुबह योग्य डाक्टरों और इलाज के
अभाव में एक महिला मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में अत्याधुनिक
चिकित्सा उपकरणों से लैस करोड़ो रूपए की लागत से इमरजेंसी की बिल्डिंग
बनाने का क्या फाएदा जब उसमें बैठने के लिए योग्य चिकित्सक ही न हों और
डाक्टर के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हांे ? ताजा मामला रविवार की सुबह
8.30 बजे का है, जब जिला अस्पताल की इमरजेंसी में ड्यूटी पर डाक्टर के न
होने से एक महिला ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। इस मामले में जब
सीएमओ ने बात की गई तो कार्यवाई की बात कही है। मामला लमभुआ तहसील
अन्तर्गत पीपरपुर थाना क्षेत्र के ज्ञानीपुर गांव का है। सुबह के 8.15 बज
चुके थे, मरीज दर्द से कराह रहा था, लेकिन डाक्टर दूबे अपनी कुर्सी से
नदारद थे, ऐसे में बेचारा फार्मासिस्ट करता भी तो क्या करता ?
प्रातः8.15 बजे पीपरपुर थाना क्षेत्र के ज्ञानीपुर गांव निवासी स्व.राम
प्रसाद की पत्नी गायत्री देवी को परिजन इमरजेंसी में लेकर पहुंचे, उसे
डायरिया की शिकायत थी। लेकिन डाक्टर तो थे नही, जैसे-तैसे फार्मेसिस्ट ने
देखा सुना, पर वो अपनी मर्जी से दवा लिख भी तो नही सकता था। नतीजा यह हुआ
कि 8.40 पर गायत्री देवी इलाज के अभाव में दम तोड़ चुकी थी और उसके परिजन
हाथ मलते ही रह गए। यह वही जिला सुल्तानपुर का इमरजेंसी अस्पताल है।
जिस्को बीजेपी सांसद वरुण गांधी की निधि से हाल ही में करीब सवा करोड़
रुपयों की लागत से तैयार किया गया था। जिसका यहां रियल्टी चेक किया तो
सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी।
आलम यह है सुल्तानपुर जिले की, कि ड्यूटी पर आते नही डाक्टर, शहर में
चला रहे सभी अपना नर्सिंग होम। उधर जब भीड़ बढ़ी तो सीएमएस योगेंद्र यती की
नींद टूटी और उन्होंने फिजिशीयन डाक्टर तारिक को इमरजेंसी ड्यूटी पर
भेजा, तब कही जाकर लोगों का इलाज शुरू हुआ। वही नाम न छापने की शर्त पर
एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि ईएमओ डाक्टर दूबे जल्दी ड्यूटी पर आते ही
नही, वो शहर में रहकर एक नर्सिंग होम चला रहे है। फिलहाल मामले में मुख्य
चिकित्सा अधिकारी सीवीएन त्रिपाठी (सीएमओ) ने कहा कि उनके संज्ञान में
नहीं है, लेकिन अब जानकारी हुई है तो सीएमएस से आख्या लेकर कार्रवाई की
जाएगी। बताया जा रहा है कि सीएमएस योगेन्द्र यति ने जबसे जिला अस्पताल का
चार्ज सम्भाला है तभी से अस्पताल की व्यवस्था बदतर चली आ रही है। डाक्टर
लापरवार हो चुके हैं। ड्यूटी पर बैठने के बजाय निजी प्रैक्टिस में लिप्त
हैं।

उधर मामले के सम्बन्ध में सीएमएस डॉ योगेंद्र यति ने कुछ बोलने से
इन्कार कर दिया । काफी कुरेदने पर उन्होंने कहा कि जो लिखना हो लिख
दीजिए। मामला संज्ञान में आया है। जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी ।