नई दिल्ली: उत्‍तराखंड के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के एम जोसफ के नाम पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में सहमति बन गई है. अब कॉलेजियम दोबारा सरकार को जोसफ का नाम भेजेगा. परंपरा के मुताबिक दोबारा नाम भेजे जाने पर सरकार को अपनी रज़ामंदी देनी होती है. हालांकि सरकार चाहे तो उस नाम पर कोई फैसला अनिश्चितकाल के लिए टाल भी सकती है.

वैसे सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम में जस्टिस जोसफ के नाम की सहमति तो बन गई है लेकिन अभी तत्‍काल में उनका नाम नहीं भेजा जाएगा. कुछ और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में होनी है. उन नामों पर 16 मई को चर्चा होगी. फिर सभी नाम सरकार को एक साथ भेजे जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक सरकार को जस्टिस जोसफ के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्‍ति पर ऐतराज़ है.

बता दें कि सरकार ने 26 अप्रैल को जस्टिस केएम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर प्रमोट करने की कॉलेजियम की सिफारिश पुनर्विचार के लिए लौटा दी थी. सरकार ने तब कहा था कि प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के मानकों के अनुरूप नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है जहां से वह आते हैं. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर प्रमोट करने के लिये उनकी वरिष्ठता पर भी सवाल उठाए.

दरअसल कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जस्टिस जोसफ की प्रमोशन को लेकर जो आपत्तियां उठाई थीं उनका क्रमवार जवाब जस्टिस चेलामेश्वर ने अपने पत्र में दिया था. जस्टिस चेलामेश्वर 22 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कॉलेजियम की बैठक बुधवार को होने की उम्मीद थी लेकिन जस्टिस चेलामेश्वर छुट्टी पर थे. सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस चेलामेश्वर के अलावा कॉलेजियम के दूसरे सदस्य जस्टिस रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कुरियन जोसफ हैं.

जस्टिस कुरियन जोसफ ने पिछले हफ्ते अपने केरल दौरे के दौरान कथित तौर पर यह स्पष्ट किया था कि वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के मुद्दे पर कॉलेजियम की अनुशंसा पर फिर से जोर देने के पक्ष में हैं. कॉलेजियम की बैठक कब होगी इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.