रिहाई मंच ने लखनऊ में किया ‘लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बढ़ते हमले और नया प्रतिरोध’ पर सम्मलेन

लखनऊ: रिहाई मंच ने ‘लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बढ़ते हमले और नया प्रतिरोध’ सम्मलेन लखनऊ में किया. राजेन्द्र सच्चर को याद करते हुए सहारनपुर दलित हिंसा के एक साल और मीडिया विजिल के दो साल पर यह सम्मलेन कैफ़ी आज़मी एकेडमी निशातगंज लखनऊ में संपन्न हुआ. सम्मलेन में पर भारत बंद के दौरान बड़े पैमाने आन्दोलन में दमन और उत्पीड़न झेले आन्दोलनकारी, सहारनपुर हिंसा के बाद दमन किये भीम आर्मी के नेता, रासुका के तहत निरुद्ध किये गए दलित-मुस्लिम युवा, फर्जी मुठभेड़ में मारे गए युवाओं के परिजन समेत प्रदेश भर में सडकों पर संघर्षरत प्रतिरोध कर रहे लोग शामिल हुए.

सम्मलेन को संबोधित करते हुए भीम आर्मी नेता कमल सिंह वालिया ने कहा कि शब्बीरपुर जातीय हिंसा के एक साल पूरे हो गए हैं. इस अन्याय के खिलाफ जिन लोगों ने आवाज़ उठाई उनको भाजपा सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया. हमारे नेता चंद्रशेखर आज़ाद रावण के ऊपर सरकार रासुका लगातार बढ़ा रही है क्योंकि सरकार नये प्रतिरोध से डरी हुई है. उन्होंने कहा कि दलित समाज के ऊपर हो रही हर नाइंसाफ़ी के खिलाफ लड़ाई तेज़ करने की जरुरत है.

मीडिया विजिल के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने कहा मीडिया ने आज अपनी विश्वसनीयता इतनी खो दी है की उसकी मोनिटरिंग करनी पड़ रही है. कॉर्पोरेट मीडिया वंचित वर्ग के आंदोलनों का दानवीकरण करती है और सत्ता पक्ष के दमन को गौरवान्वित भाव से पेश करती है. उसे मोदी की बहुत चिंता है लेकिन उसे बीएचयू की छात्राओं की आज़ादी की चिंता नहीं है, उसे छत्तीसगढ़ की माँ बहनों की चिंता नहीं है, उसे इस बात की भी चिंता नही है कि मोदी जी दुनिया भर में घूम घूमकर जल-जंगल-ज़मीन बेच रहे हैं.

गुजरात से आये अल्पसंख्यक अधिकार मंच के नेता शमशाद पठान ने कहा की हम ने अपनी आँखों से गुजरात जनसंहार से लेकर इशरत जहाँ, सादिक जमाल मेहतर, सोहराबुद्दीन को सत्ता के हाथों मारे जाते देखा है. जस्टिस लोया की हत्या इस तरफ इशारा करती है की आज हमारी न्यापालिका अपने ही एक संरक्षक को न्याय देने में असफल साबित हो रही है. आज पूरे देश में गुजरात मॉडल लागू किया जा रहा है, खुले आम सडकों पर मुसलमानों और दलितों की हत्या की जा रही है.

पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार दलितों और मुसलमानों का दमन करने पर आमादा है. अब तक भाजपा हिन्दू मुसलमान करके सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करती थी. 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान उसने दलित बनाम सवर्ण करके अपने मनुवादी ऐजेंडे को लागू किया है. पूरे सूबे में दलितों को घेर घेर कर मारने वाली सरकार के मुखिया योगी को दलित मित्र का सम्मान देना दलितों का अपमान और लोकतंत्र में निंदनीय घटना है.

मीडिया विजिल के कार्यकारी संपादक अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा की बीएचयू से लेकर एएमयू तक छात्रों पर जो हमले हो रहे है, उन पर आंदोलनों के दौरान हत्या के प्रयास के जो मुकदमें दर्ज हो रहे हैं उससे लगता है की मोदी सरकार डरी हुई है. यह नया प्रतिरोध काल्पनिक नहीं है, यह इतना सशक्त है की एक कॉल पर पूरा भारत बंद हो सकता है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि लोकतान्त्रिक संस्थाओं पर यह हमला दर असल उन बुनियादों पर हमला है जिन पर यह देश टिका है. यह सिर्फ दलितों मुसलमानों को बचाने का सवाल ही लोकतंत्र और संविधान को बचाने का सवाल है. रिहाई मंच इस दिशा में संघर्ष करने वाले सभी आंदोलनों का समर्थन करता है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से आये मुहम्मद आरिफ और दाऊद ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा एक राजनीतिक विचारधारा के तहत हमारे विश्वविद्यालय पर हमला किया जा रहा है और उसी विचारधारा ने कार्यक्रम में आये पूर्व उपराष्ट्रपति पर हमला किया जिसके खिलाफ हम कार्यवाही की मांग कर रहे हैं. अलीगढ़ से आये छात्र नेताओं ने पूरे मामले की न्यायिक जाँच की मांग की.

दिलीप सरोज के इंसाफ और 2 अप्रैल के भारतबंद में अहम भूमिका निभाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रनेता दिनेश चौधरी ने कहा कि एक तरफ सामन्ती ताकतें सरकारी संरक्षण में दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों को मार रही हैं तो दूसरी तरफ सरकार खुद नीतियाँ बनाकर संस्थानों में हमारी हत्या करने पर आमादा है, इसको बर्दाश्त नही किया जायेगा.

भारत बंद के दौरान आजमगढ़ में दलितों पर हुए अत्याचार पर राजेश कुमार ने कहा 2 अप्रैल के बाद जीयनपुर, सगड़ी और अज़मतगढ़ से दर्ज़नों लोगों को फर्जी मुक़दमा लादकर जेल में डाला गया है पर सरकार को अंदाज़ा नही है कि आन्दोलनकारी इस दमन से नही डरेंगे बल्कि हर हर नाइंसाफी का मुंह तोड़ जबाब दिया जायेगा.

सरायमीर आजमगढ़ से आये शाहआलम शेरवानी ने कहा की सरायमीर में भाजपा सरकार अपने कार्यकर्ताओं और पुलिस प्रशासन के जरिये सांप्रदायिक तनाव भड़काने की लगातार कोशिश में लगे हुए हैं. धार्मिक टिप्पणी करने वाले संघी के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के बजाय कार्यवाही की मांग करने वालों के खिलाफ फर्जी मुक़दमे दर्ज कर रही है.

बाराबंकी में सांप्रदायिक तनाव के बाद रासुका लगाए गए युवकों के परिजनों ने कहा कि महादेवा में स्थानीय भाजपा और संघ परिवार से जुड़े नेताओं के इशारे पर हमारे बच्चों को रासुका के तहत फंसाया गया है, हमको इंसाफ चाहिए.

बाराबंकी सरसौंदी से आये अयोध्या प्रसाद और महेश ने कहा कि भाजपा के विधायक- सांसद दलितों के घर खाना खाने की नौटंकी कर रहे हैं लेकिन हालात यह हैं कि हम अपने गाँव में अम्बेडकर पार्क में बाबा साहेब की प्रतिमा लगाना चाहते हैं लेकिन सरकार नही लगने दे रही है. यह तो बाबा साहेब का अपमान है.

कार्यक्रम का संचालन गुफरान सिद्दीकी ने किया. सम्मलेन में लक्ष्मण प्रसाद, आदियोग, मसीहुद्दीन संजरी, अबू अशरफ जीशान, सुनील यादव, औसाफ, प्यारे राही, बिरेन्द्र गुप्ता, सुमन गुप्ता, नाहिद हसन,प्रतीक गौतम, शिल्पी चौधरी, रफत फातिमा, तारिक शफीक, अमीक जमाई, रजनीश अम्बेडकर, गौरव, निति सक्सेना, आरिफ मासूमी, रेखा, अनूप पटेल, हफीज गाँधी, डॉ मंज़ूर, राकेश, निलिन, दिनकर कपूर, राजीव यादव, आफाक, अनिल यादव आदि उपस्थित थे.