sultanpur: प्रसव के दौरान अस्पताल कर्मियों का कारनामा, बदल दिया बच्चा
मंत्री के हस्ताक्षेप पर दर्ज हुआ मुकदमा
पांच महीने तक चक्कर काटती रही पीड़िता
सुलतानपुर। जिला महिला चिकित्सालय में प्रसव के बाद हेरा-फेरी कर
बच्चें को बदलने का मामला समाने आया है। इस घटना ने चिकित्सक व मरीजों के
बीच बने विश्वास के रिश्ते को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे गम्भीर मामले में
सूबे की मंत्री के हस्ताक्षेप पर चिकित्सक समेत तीन के खिलाफ करीब पांच
माह बाद एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए कार्यवाही शुरू कर
दी है।
बताया जाता है कि गोसाईगंज थाना क्षेत्र के टांटियानगर की रहने वाली
कांती देवी पत्नी सुग्गीलाल ने चिकित्सक व नर्स के खिलाफ गम्भीर आरोप
लगाया है। आरोप के मुताबिक बीते 21 नवम्बर को वह अपने पति व आशा बहू
रेशमा बानों के साथ 102 नम्बर एम्बुलेंस से प्रसव के लिए जिला महिला
अस्पताल आयी। जहां पर उसका आपरेशन हुआ और उसी दौरान उसकी सहमति से नसबंदी
भी की गयी। आरोप है कि आपरेशन के बाद डिलेवरी के दौरान ड्यूटी पर तैनात
चिकित्सक व नर्स ने अन्य किसी से मिल-जुलकर उसके बच्चे को ही बदल दिया और
उसके पास दूसरे के बच्चे को रख दिया। जबकि कांती देवी का शुरू से आरोप है
कि आपरेशन के बाद उसने अपने बच्चे को देखा था। बाद में देखने पर पता चला
कि वह बच्चा नहीं बल्कि दूसरे बच्चे को जिम्मेदार चिकित्साकर्मियों ने
उसके पास धोखे से रख दिया था। बल्ड ग्रुप की जांच में भी उस बच्चे का
ग्रुप शिकायतकर्ता व उसके पति से मेल नहीं खाया। नसबंदी के कागजात में भी
बच्चें के जन्म की तारीख एक दिन पहले की दिखाई गयी है जबकि डिस्चार्ज
कार्ड में कांती देवी को भर्ती करने का दिनांक 21 नवम्बर ही दिखाया गया
है। इस घिनौने खेल के पीछे चिकित्सक, नर्स समेत तीन के खिलाफ घटना के बाद
से ही एफआईआर दर्ज कराने के लिए कांती अस्पताल से लेकर थाने के चक्कर
काटती रही, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। मामला जिले के एक महिला संगठन की
अध्यक्ष के माध्यम से सूबे की मंत्री रीता बहुगुणा के पास पहुंचा तो उनके
हस्ताक्षेप पर गोसाईगंज पुलिस ने आरोपी चिकित्साकर्मियों के खिलाफ भादवि
की धारा 406, 420 में मुकदमा दर्ज किया है। जिसकी तफ्तीश दरोगा राणा सिंह
को मिली है। उन्होंने बताया कि सच्चाई का पता लगाने के लिए जल्द ही
शिकायतकर्ता व उसके पास छोड़े गए बच्चे का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।