सुल्तानपुर । लोकसभा चुनाव के लिए जब कुछ ही दिन बचे हैं तो वोट साधने व
दलितों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा हाई कमान और मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश सरकार के मंत्रियों और भाजपा संगठन के
पदाधिकारियों को प्रदेश के हर जिले में ग्राम स्वराज अभियान के तहत किसी
दलित के यहां भोजन कर वहीं रात्रि विश्राम करने का निर्देश हुआ है।
किन्तु जिले के प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह 28 अप्रैल को जिले में आए
और उनका कार्यक्रम जिले की कादीपुर तहसील के वीरपुर प्रतापपुर गांव में
लगा । प्रभारी मंत्री का रात्रि विश्राम एवं भोजन करने का सारा कार्यक्रम
गांव के दलित रामदयाल के यहां निर्धारित था।

यहां यह बताना समीचीन होगा कि प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह और
क्षेत्रीय विधायक राजेश गौतम तय कार्यक्रम के अनुसार दलित राम दयाल के घर
पहुंचे। लोगों से बातचीत भी की, लेकिन जब भोजन करने की बारी आई तो वे
दलित राम दयाल के घर बना भोजन न खाकर जो प्रभारी मंत्री के लिए बाहर से
मंगाया गया था उसे उन्होंने खाया। दलित के यहां का भोजन मंत्री के न खाने
से कार्यकर्ताओं में निराशा होने लगी। मंत्री का यह व्यवहार लोगों को
अच्छा नहीं लगा। प्रभारी मंत्री के इस रवैये का दलितों में नकारात्मक
संदेश गया जिससे जिले में दलित वोटों पर सेंध लगाने की भाजपा की योजना
साकार होती नजर नहीं आ रही है। जहां तक गांव में रात्रि प्रवास की बात है
तो शनिवार को प्रभारी मंत्री गांव जरूर पहुंचे, लेकिन उन्होंने गांव में
रात्रि प्रवास भी नहीं किया। शनिवार को प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह का
कादीपुर क्षेत्र के बीरपुर प्रतापपुर में ग्राम स्वराज अभियान के तहत
चौपाल और रात्रि विश्राम का प्रोग्राम था, गांव के प्राथमिक विद्यालय में
लगी चौपाल में मंत्री जय प्रताप ने गांव की जनता से उनकी समस्याएं पूछनी
शुरू की तो जनता ने एक-एक करके अपनी तमाम समस्याएं गिना डाली। लेकिन जब
मंत्री के साथ पहुंचे जिले के तमाम विभागों के अधिकारियों ने अपने द्वारा
कराए गए विकास कार्यों का लेखा – जोखा बताना शुरू किया तो ग्रामीणों ने
इसे झूठ का पुलिंदा बताते हुए हंगामा कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों को
उम्मीद थी कि मंत्री जी गांव के स्कूल में ही रात्रि विश्राम करेंगे,
जिसके लिए तैयारी भी की गई थी लेकिन भोजन के बाद प्रभारी मंत्री यह कहकर
चले गए कि सुबह आकर आपसे मिलकर समस्याओं का निदान कराएंगे। प्रभारी
मंत्री के दोबारा लौटकर न आने से भी गांव वाले निराश हुए।
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