भाजपा के मिशन 2019 के ताबूत का कील साबित हो सकता है श्रावस्ती माडल
श्रावस्ती माडल की कार्यवाही से भाजपा समर्थकों में देखी जा रही नाराजगी
सुलतानपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने सूबे की बागडोर सम्भालते
ही भूमाफियाओं पर लगाम कसने की घोषणा कर दी थी। सड़क के किनारे की जमीनों
से अवैध कब्जे हटवाने के साथ-साथ गांवों में भी सरकारी जमीनों से अवैध
कब्जे हटाने के लिए श्रावस्ती माडल की योजना अमल में लायी गयी। श्रावस्ती
माडल पर काम तेजी से शुरू हुआ। लेकिन इससे पार्टी के प्रति लोगों की
नाराजगी ज्यादा देखी गयी। अब जब मई महीने से श्रावस्ती माडल पुनः शुरू
होने की बातें हो रही हैं तो इससे चुनावी वर्ष में फायदे के सिवा नुकसान
होने के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं। लोगों का तो यहां तक मानना है कि
2019 के लोकसभा चुनाव में श्रावस्ती माडल प्रदेश में भाजपा के ताबूत की
कील साबित हो सकता है।
बताते चलें कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हटाने के लिए प्रदेश सरकार
द्वारा श्रावस्ती माडल अपनाते हुए मौके पर जाकर तत्काल जेसीबी से कब्जे
हटवाये गये। लोगों की मानें तो यह अवैध कब्जा हटवाने के लिए तैयार इस
माडल से राजस्वकर्मियों की भी चांदी हो गयी है। इस माडल में जमीन
सम्बन्धी आपसी विवादों का निपटारा करने के बजाय एक ही दिन में केवल
सरकारी जमीन खलिहान, घूर गड्ढे, चारागाह आदि पर हुए कब्जे हटवाने में ही
ज्यादा ध्यान दिये जाते हैं। जबकि बताया जाता है कि गांवों में चकबन्दी
के पूर्व से ही तमाम मकान ऐसे भूखण्ड में बने हैं जो राजस्व अभिलेखों में
सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित हैं। योगी सरकार में ऐसे लोगों के दिलों
की धड़कने बढ़ गयी हैं जिनकी आबादी के बीच में पचासों साल पहले के मकान बने
हैं और चकबन्दी के दौरान राजस्व अभिलेखों में उनके घरों के बीच से या तो
चकरोड दर्ज हो गये हैं या वह भूखण्ड खाद गड्ढे अथवा खलिहान के रूप में
दर्ज हो गए हैं। श्रावस्ती माडल का नाम सुनते ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते
हैं। कभी भाजपा का जो गुण गाते नहीं अघाते थे वे आज सुबह शाम कोसने से
बाज भी नहीं आ रहे हैं। एक कार्यकर्ता का तो यहां तक कहना है कि हम लोगों
की ही मेहनत से पार्टी खड़ी हुई है और अब हम लोगों की उपेक्षा करके नेता
दलित साधना में लीन हो गए हैं। आगामी 2019 का लोकसभा चुनाव में चाहे
विपक्ष का महागठबन्धन बने या न बने लेकिन भाजपा के लिए आसान नहीं दिखाई
दे रहा है।