कृषि को देना होगा उद्योग का दर्जा: पचौरी
लखनऊ। ‘खेत खलिहान से रूस ईरान तक’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उत्तरप्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सत्यदेव पचौरी ने कहा कि अधिकतम रोजगार सृजन के लिए शिक्षा को कृषि से जोड़ना होगा। साथ ही कृषि को उद्योग का दर्जा देना होगा। तभी देश का विकास संभव होगा।
श्री पचौरी ने कहा, हमें नीतियों में बुनियादी बदलाव करने होंगे। जिससे देश के भविष्य युवावर्ग के मन में यह विचार मजबूत हो कि उसे उद्योगपति बनना है। इसके लिए आवष्यक है कि मेधा और प्रतिभा को प्रशिक्षित किया जाए। इस दिशा में भारत सरकार और प्रदेश सरकार विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम संजीदगी से चला रही है। पचौरी ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। कृषि को उद्योग का दर्जा दिलाने से सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र एवं उद्योग क्षेत्र, तीनों का सामूहिक रूप से विकास होगा। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद युवाओं का आह्वान किया कि आप सभी में मेधा है। क्षमता है। आप सभी स्वरोजगार के माध्यम से अपने पैरों पर खडे हों। युवाओं को स्वाबलंबी बनाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
स्माल इंडस्ट्रीज मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीमा) एवं लखनऊ विश्वविद्यालय की भाऊराव देवरस पीठ के संयुक्त तत्वावधान में कृषि आधारित स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के औद्यागिक विकास आयुक्त डा0 अनूपचन्द्र पाण्डेय ने कहाकि बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करने के लिए कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए राज्य सरकार संजीदगी से कार्य कर रही है। कई नए कार्यक्रम, योजनाएं और नीतियां बनाकर उनका कडाई से अनुपालन कराया जा रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर एसपी सिंह ने कहा कि युवाओं में एक सोच बन चुकी है कि सरकारी नौकरी करनी है। तो वहीं कुछ युवा सरकारी क्षेत्र के रोजगार में न जाकर निजी क्षेत्र को प्राथमिकता देते हैं। जो विकल्प परिस्थितियों के अनुरूप हो उसे ही प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। आज युवाओं के समक्ष स्टार्ट अप का बेहतर विकल्प मौजूद है। लखनऊ विश्वविद्यालय की भाऊराव देवरस पीठ के निदेशक डा0 सोमेश कुमार शुक्ला ने कहा कि जिस व्यक्ति की स्व-रोजगार करने के प्रति थोडी भी दिलचस्पी है उसे प्रोत्साहित करने के लिये यह संगोष्ठी मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी। स्टार्ट-अप के लिये आवश्यक सभी पहलुओं और विभिन्न समस्यात्मक पहलुओं को चिन्हित कर उन्हें दूर किया जाएगा। संस्थान एक वर्ष तक स्टार्ट अप करने वाले व्यक्ति से सम्पर्क में रहकर उसका फालोअप करेगा। स्माल इंडस्ट्रीज मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीमा) के प्रेसीडेंट शैलेन्द्र श्रीवास्तव के अनुसार उनका संगठन भाऊराव देवरस पीठ के साथ मिलकर अन्य क्षेत्रों के स्टार्टअप्स के लिए भी इस प्रकार के प्रोत्साहन कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। संगोष्ठी को छत्तीसगढ़ से आए कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने संबोधित करते हुए युवाओं को कृषि क्षेत्र में बढ़ती रोजगार की संभावनाओं की जानकारी दी, एवं बंगलूरू से आए विशेषज्ञ राजीब राय ने कम जगह में ज्यादा उपज लेने के तरीकों पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में कानपुर, बांदा एवं फैजाबाद स्थित कृषि विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर छात्रों सहित बड़ी संख्या में युवाओं एवं उद्यमियों ने हिस्सा लिया। समारोह में स्टार्टअप प्रोत्साहन स्वरूप डॉस नेक्स्टजेन इंडिया प्रा.लि. के सीएमडी दिनेशचंद्र उपाध्याय, ऑर्गेनो टेक्नोलॉजीज प्रा. लि. के शोभित सक्सेना, एवं फार्मा सेक्टर के डॉ.के.के.श्रीवास्तव, विश्वस्तर की प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी स्वास्तिका प्रिंटवेल के लविंदर सिंह सहित कुछ अन्य उद्यमियों को सम्मानित भी किया गया।