भाकपा (माले) का ‘भूमि व भोजन’ के अधिकार के लिए जन अभियान शुरू
लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने भूमि व भोजन के अधिकार के लिए और मोदी-योगी सरकार में दलितों-अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा के खिलाफ राज्यव्यापी जन अभियान की सोमवार को शुरुआत की।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बताया कि 23 अप्रैल से शुरू अभियान का समापन एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर होगा। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता समूह के रूप में ग्रामीण इलाकों में सघन जनसंपर्क करेंगे, पैदल व साइकिल मार्च निकलेंगे, पर्चा वितरण करते हुए गांव-हाट-बाजार में सभाएं करेंगे।
उन्होंने बताया कि अभियान का उद्देश्य किसानों-मज़दूरों को उनके अधिकारों के प्रति जागृत करते हुए मोदी-योगी सरकार की गरीब-विरोधी, साम्प्रदायिक व फासीवादी नीतियों के खिलाफ उन्हें गोलबंद करना है। 2019 के आम चुनाव के मद्देनजर यह 'भाजपा हटाओ, देश बचाओ' अभियान का पहला चरण होगा।
अभियान के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए राज्य सचिव ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद देश में भुखमरी और कुपोषण बढ़ा है। जबकि मोदीजी अच्छे दिन लाने के वादे के साथ आये थे। 117 देशों के विश्व भूख सूचकांक में भारत का स्थान और नीचे खिसक कर 100वें पादान पर पहुंच गया है, जो देश में गरीबों की हालत के बद-से-बदतर होते जाने का प्रमाण है।
दूसरी ओर, देश के धन-संपदा पर मुट्ठी भर अमीरों का नियंत्रण और भी बढ़ा है। वैश्विक आंकड़े गवाह हैं कि गुजरे साल देश की कुल कमाई का 73 प्रतिशत हिस्सा देश के ऊपरी एक प्रतिशत अमीरों ने हड़प लिया। यह मोदी शासन में अर्थव्यस्था के फेल होने और आम आदमी की कीमत पर सिर्फ बड़े पूंजीपतियों के फलने-फूलने का एक और प्रमाण है।
राज्य सचिव ने कहा कि विदेश में जमा देश का काला धन वापस लाने के मोदीजी के वादे के विपरीत हम देख रहे हैं कि उनके शासन में देश के बड़े पूंजीपति-उद्योगपति बैंकों में आम आदमी की छोटी-छोटी बचतों के रूप में जमा गाढ़ी कमाई का अरबों-खरबों रुपया हड़प कर विदेश भाग जा रहे हैं और ऐश कर रहे हैं। बैंक घोटालों की फेहरिस्त रोज़ाना बढ़ती जा रही है। इसे रोकने में देश की सारी सुरक्षा एजेंसियां फेल हैं। यह राजग सरकारऔर लुटेरे पूंजीपतियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
माले नेता ने कहा कि प्रति वर्ष दो करोड़ रोज़गार देने के मोदी सरकार के वादे की जगह हुआ यह है कि नोटबंदी व सरकार की अन्य नीतियों के चलते बड़े पैमाने पर रोज़गार नष्ट हुए हैं। प्रधानमंत्री रोज़गार तो नहीं दे सके, अब युवाओं को पकौड़ा बेचने की सलाह दे रहे हैं।
राज्य सचिव ने कहा कि मोदी-योगी सरकार में महिलायों व बच्चियों के साथ गैंगरेप और दलितों-अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। लोकतंत्र पर हमले बढ़े हैं। असहमति को देशद्रोह के समतुल्य तक खींचा जा रहा है और असहमति का विचार रखने वालों की हत्या तक कर दी जा रही है, जैसा कि गौरी लंकेश, कलबुर्गी आदि के साथ हुआ। अल्पसंख्यकों को भीड़ हत्याओं में मारा और डराया जा रहा है। और ऐसा करने वाले हत्यारे गिरोहों को राजग सरकारों का संरक्षण मिल रहा है। दलितों को अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करने पर जेलों में ठूंसा जा रहा है, जैसा कि सहारनपुर और उसके बाद दो अप्रैल के भारत बंद में हुआ।
माले नेता ने कहा कि जन अभियान के दौरान इन बिंदुओं पर मोदी-योगी सरकार का पर्दाफाश किया जाएगा। साथ ही, ग्रामीण गरीबों के राशन, भूमिहीनों के आवास व खेती के लिए भूमि आवंटन, विधवा- बुजुर्ग पेंशन, मनरेगा में काम व बकाया मजदूरी के भुगतान, किसानों की उपज की खरीद, कर्ज़मुक्ति, शिक्षा व स्वास्थ्य आदि मांगों को लेकर जनगोलबन्दी करते हुए एक मई को जगह-जगह रैलियां की जाएंगी।