हिन्दू मुस्लिम एकता में भारत का उज्ज्वल भविष्य: मौलाना ताहिर मदानी
जमात-ए-इस्लाम की ओर से ‘‘देश की वर्तमान स्थिति और उसके भविष्य की सुरक्षा’’ पर संगोष्ठी
लखनऊः भारत अपनी स्वतंत्रता के बाद जिन आधारों पर खड़ा हुआ वह समीकरण, सभी के अधिकारों की रक्षा व्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और आपसी भाईचारा थीं। हमारा संविधान उसी प्रतीक है। इसी संविधान के आधार पर हमारे जीवन की शुरूआत हुई। हर किसी ने इसे स्वीकार किया और तदनुसार अपनी गतिविधियों को शुरू किया। राजनीतिक दलों ने इसी की रोशनी में अपनी योजनाएं बनाईं और सरकारें उन्हें प्राप्त करने के लिए संघर्ष करती रहीं। इन लक्ष्यों को किसी हद तक प्राप्त भी किया गया और बहुत सी कमियाँ भी रहीं। इन विचारों को जमात-ए-इस्लामी पूर्वी यू.पी. के अध्यक्ष मोहम्मद नाईम साहब द्वारा व्यक्त किए गए। वह आज जमाते इस्लामी हिन्द शहर लखनऊ की ओर से गांधी भवन में ‘‘देश की वर्तमान स्थिति और उसके भविष्य की सुरक्षा’’ शीर्षक पर होने वाली संगोष्ठी में अवाम को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
मोहम्मद नईम ने इस मौके यह भी कहा कि आज की संगोष्ठी का यह शीर्षक एक महत्वपूर्ण विषय है, इस पर बात करना आज के माहौल में बहुत आवश्यक है। मौजूदा परिस्थितियों में समाज को बांटे जाने का संगठित प्रयास किया जा रहा है जो देश और देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए अत्यंत हानिकारक है, जिसके परिणाम निकट भविष्य में सामने आने वाले हैं। ऐसी स्थितियों में, दुनिया के सभी लोग एक साथ अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष करे तभी इस देश का विकास संभव है। मोहम्मद नईम ने यह भी कहा कि सामाजिक मीडिया और अन्य स्रोतों से देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, इन स्थितियों में हमें लोगों के बीच जाकर उन्हें जागरूक करना होगा।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुए जामिअतुल फ़लाह पूर्व मॉडरेटर और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना मोहम्मद ताहिर मदनी ने संबोधित करते हुए कहा कि इस समय निकायों में जो लोग मौजूद हैं वास्तव में वे इस लायक नहीं हैं तो आखिर कैसे देश का कानून सुरक्षित हो सकता है। उन्होंने कहा कि उन लोगों को जिन्हें जेल में होना चाहिए था वह कानून-साज़ इदारो में बैठे हैं। दोषियों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं।
मौलाना ताहिर मदनी ने यह भी कहा कि देश की अदालत में देश की जनता का भरोसा कायम था और न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद थी लेकिन अब हाल के दिनों में जो निर्णय आए हैं इससे न्यायपालिका की गरिमा आहत हुई है, खुद न्यायपालिका के जज देश के लोकतंत्र को खतरे मे बता रहे हैं। साथ ही देश की मीडिया जिस तरह से सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने की कोशिश में है इससे पूरा मीडिया भी प्रभावित है। शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति भी चिंता का विषय है, और ये संस्थान एक विशेष विचारधारा को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। मौलाना ने आगे कहा कि लोकतंत्र के मूल्यों को खत्म किया जा रहा है, देश में आमिराना माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है। देश की राजनीति भी बिल्कुल प्रभावित है, राजनीति में वही लोग हैं जो आर्थिक रूप से समाज में प्रभाव रखते हैं मौलाना ने कहा कि भारत को सुरक्षित रखना है तो हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखना होगा, अगर हिंदू-मुस्लिम साथ टूट जाएगा तो देश में शांति मुश्किल हो जाएगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ अयाज अहमद इस्लाही ने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के विभिन्न जातियों को एक दूसरे से दूर करने के लिए फांसीवाद का सहारा लिया जा रहा है। हिटलर ने भी इसी हथियार को अपनाया था, आज फिर इसे दोहराया जा रहा है, इस संबंध में हमारा मौन इन मामलों को बढ़ावा दे रहा है।
संगोष्ठी में उद्घाटन बातचीत करते हुए जमाते इस्लामी लखनऊ के अध्यक्ष मोहम्मद साबिर खान ने कहा कि पूरे देश का माहौल काफी आपसी भाईचारा और आपसी मेल मिलाप में एक उदाहरण है। यह भी सच है कि हमें इन लक्ष्यों को प्राप्त करने पर भटकाया जा रहा है।
कुछ सालों से ऐसी ताकतें जो उपरोक्त उद्देश्यों में वास्तव में विश्वास नहीं रखती हैं। इन शक्तियों ने सत्ता, मीडिया और विभिन्न संगठनों द्वारा पूरे देश में ऐसा माहौल पैदा कर दिया है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और आपसी भाईचारा के लिए अपार खतरा हो गया है। इस स्थिति को देखते हुए जमाते इस्लामी लखनऊ ने आज गांधी भवन में देश की वर्तमान स्थिति और भविष्य की सुरक्षा के शीर्षक पर संगोष्ठी का आयोजन किया था।
कार्यक्रम का संचालन मौलाना जुबैर मलिक फलाही ने किया। जबकि वक्ता के रूप में रामलखन पासी, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, संदीप पांडेय, डी.के. यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर इंजीनियर मोहम्मद शाहिद अली (सचिव क्षेत्र जमाते इस्लामी यूपी पूर्व) डॉक्टर मलिक फैसल फलाही, एडवोकेट नजमुस्सक़िब खान, मोहम्मद आसिफ अकरम, मोहम्मद राशिद, शान-ए-इलाही, साजिद खान, हबीब अहमद, हबीब अली, डॉक्टर अरशदुल्लाह, मुहम्मद अकरम इत्यादि उपस्थित थे।