बाबू बजरंगी की उम्र कैद की सजा बरकरार
नई दिल्ली: वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया में हुए नरसंहार मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व मंत्री माया कोडनानी को निर्दोष करार दिया है जबकि बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजंरगी की उम्र कैद की सजा बरकार रखी है। बाबू बजरंगी को पूरी उम्र जेल में रहना होगा। 16 साल पहुले हुए इस नरसंहार के मामले में 97 लोगों की मौत हुई थी। हरीश छारा और सुरेश लांगड़ा समेत 31 आरोपियों को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सचा को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।

गुजरात के नरोदा पाटिया हत्याकांड में अदालत ने 2012 में 32 आरोपियों को दोषी करार दिया था और 29 को बरी कर दिया था। दोषी करार दिए गए 32 लोगों में से आज सिर्फ माया कोडनानी को राहत मिली है। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि माया कोडनानी की वारदात वाली जगह पर मौजूदगी साबित नहीं हुई है।

इससे पहले जस्टिस हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस केस में स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी नेता माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी ठहराया था।

इस मामले में निचली अदालत ने माया कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास और सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। एक अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा हुई थी। निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में एक बड़ा नरसंहार हुआ था। 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले दिन जब गुजरात में दंगे भड़के तो नरोदा पाटिया सबसे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। यहां हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जबकि 33 लोग जख्मी भी हुए थे।