न्यायपालिका को डराने की कोशिश है CJI के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव : अरुण जेटली
नई दिल्ली: कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों द्वारा सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव देने को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है. अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस और उसके मित्रों ने महाभियोग को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया है. महाभियोग के प्रस्ताव से स्पष्ट है कि न्यायाधीश लोया मामले में याचिका बदले भावना से न्यायाधीशों को डराने के लिए दायर की गई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लाग में लिखा कि महाभियोग का मामला कदाचार के स्थापित मामलों में चलाया जाता है. इस बारे में मेरी प्रारंभिक प्रतिक्रिया यह है कि जब आपके पास कदाचार का कोई मामला स्थापित नहीं हो और न ही संख्या बल आपके पक्ष में हो, तब इस शक्ति को डराने के हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करना न्यायिक स्वतंत्रता के समक्ष गंभीर खतरा है . उन्होंने कहा कि न्यायाधीश लोया की मौत के मामले में कांग्रेस पार्टी का झूठ स्थापित होने के बाद दायर की गई यह याचिका ‘बदले की भावना’ से प्रेरित है .
अरुण जेटली ने कहा कि यह न्यायाधीशों को डराने और दूसरे न्यायाधीशों को संदेश देने का प्रयास है कि अगर आप मेरी बात से सहमत नहीं होंगे तब 50 सांसद बदले की कार्रवाई के लिए पर्याप्त हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसमें कुछ आरोप पुराने और महत्वहीन हैं और इनका न्यायिक कामकाज से कुछ भी लेनादेना नहीं है. न्यायाधीश लोया की मौत के मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला जनता के बीच और राजनीतिक क्षेत्र में दुष्प्रचार की साजिश का खुलासा करता है. महाभियोग मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि महाभियोग के बारे में कोई भी निर्णय पार्टी लाइन या व्हीप के आधार पर नहीं किया जा सकता है.
गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने शुक्रवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया है. महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं. महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं.
जेटली ने कहा कि अगर संस्थानों में बाधा डालने वालों और महाभियोग प्रस्ताव से धमकाने वाले हथकंडे न्यायिक स्वतंत्रता के लिये खतरे हैं और इसका एकमात्र खतरा विभाजित अदालत को है. वित्त मंत्री ने सवाल किया कि क्या शुक्रवार को पेश हुए महाभियोग का प्रस्ताव उस प्रेस कांफ्रेंस का सीधा परिणाम था ?