अमरिंदर बोले – सिद्धू के इस्तीफे का सवाल ही नहीं
चंडीगढ़: पंजाब में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के 30 साल पुराने रोड रेज के एक मामले को लेकर उन पर विपक्ष के बढ़ते हमले के बीच मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रविवार को इन अटकलों पर विराम लगा दिया कि सिद्धू राज्य कैबिनेट से इस्तीफा देंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन और संस्कृति मंत्री सिद्धू से इस्तीफा देने को कहने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. कुल मिलाकर अब सिद्धू की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है.
पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले का समर्थन किया था जिसमें 1998 के मामले में सिद्धू को तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. गौरतलब है कि सिद्धू के घूंसा मारने के बाद पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी.
अमरिंदर ने कहा कि 30 साल पुराने मामले में उच्चतम न्यायालय में राज्य सरकार के महज अपना रुख दोहराने मात्र से मंत्री के इस्तीफा देने का सवाल नहीं पैदा हो जाता है. गौरतलब है कि विपक्ष की इस्तीफे की मांग के मद्देनजर खबरों में कहा गया था कि सिद्धू से इस्तीफा देने को कहा गया है. हालांकि, मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से आशा जताई कि न्यायाधीश मामले का फैसला करने में समाज और देश के प्रति सिद्धू के योगदान का संज्ञान लेंगे. शीर्ष न्यायालय में मंत्री का जानबूझकर समर्थन नहीं करने की खबरों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक अभियोजन को नया साक्ष्य नहीं मिल जाता, इसके लिए अपनी दलीलों में नई चीज जोड़ना कानूनन संभव नहीं होगा.
सितंबर 1999 में एक निचली अदालत ने सिद्धू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था. हालांकि हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और उन्हें तथा सह आरोपी रूपिंदर सिंह संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया. हाईकोर्ट ने उन्हें तीन साल की कैद की सजा सुनाई और प्रत्येक दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
नवजोत सिंह सिद्धू को अदालत द्वारा रोड रेज मामले में सुनाई गई सजा के पक्ष में पंजाब सरकार के खड़े होने के बाद उन्होंने दुख जताया था. सिद्धू ने कहा था कि वह ‘किसी भी तरह के दर्द’ को अपनी सरकार के रुख की वजह से सहने को तैयार हैं. पंजाब सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा सिद्धू को तीन साल की सजा देने के फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था, “पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो कहा उससे मैं दुखी हूं, स्तब्ध हूं, हैरान हूं या चोटिल महसूस कर रह रहा हूं या जो भी कुछ महसूस कर रहा हूं, सिद्धू के कंधे उस दुख को सहने के लिए काफी मजबूत हैं… अगर कोई दुख है तो उसे मैं अपने कंधों पर ढोना ज्यादा बेहतर समझूंगा.”