दलित सांसदों के बाद राजभर ने भी बढ़ाई बीजेपी आलाकमान की मुश्किलें
लगाया उपेक्षा का आरोप, बोले- कुर्सी भी नहीं मिलती
लखनऊ: पांच दलित सांसदों के बाद उत्तर प्रदेश के पिछड़ा कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी बीजेपी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अपने बयानों से पहले भी कई बार उत्तर प्रदेश सरकार को असहज कर चुके ओम प्रकाश राजभर ने आज (08 अप्रैल को) कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा, “कैबिनेट में सबकी बात सुनी जाती है, पर फैसले कुछ चार-पांच लोग ही लेते हैं। लगता है कि मुझे उपेक्षित किया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 10 अप्रैल को लखनऊ आ रहे हैं। मैं उनसे विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करूंगा और उसके बाद पार्टी के अगले कदम के बारे में तय करूंगा।”
उन्होंने कहा कि विधानमण्डल दल की बैठक में उनके लिये कुर्सी नहीं लगायी जाती है। इसे उपेक्षा ही कहा जाएगा। मालूम हो कि राजभर पूर्व में भी अपने बयानों से सरकार के लिये मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। उन्होंने हाल में सरकार के अधिकारियों पर मनमानी करने और जनप्रतिनिधियों की बात ना सुनने का आरोप लगाते हुए सरकार को घेरा था।
राजभर की पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें उसके चार विधायक जीते थे। प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 324 विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ओम प्रकाश राजभर को भरोसा जताया था कि उनकी समस्याओं का सकारात्मक समाधान निकाला जाएगा। तब राजभर ने राज्यसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को समर्थन देने की बात कही थी। हालांकि, उनके दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी।
इससे पहले राजभर ने आरोप लगाया था कि राज्य में माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड में सदस्यों की बहाली में बीजेपी के लोगों को ही स्थान दिया गया है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री के चयन पर भी सवाल उठाया है। शनिवार (7 अप्रैल, 2018) को बलिया जिले में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का चुनाव भाजपा गठबंधन के निर्वाचित 325 विधायकों में से होना चाहिए था। उन्होंने खुद को राज्य का सबसे गुंडा भी करार दिया था।