अच्छी खासी नौकरी से एक सशक्त डायरेक्ट सेलिंग दम्पती तक का सफर
दो अलग.अलग राज्यों के निवासी शिप्रा और नीरज रघुनन्द की प्रेम कहानी किसी बॉलावुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म से किसी भी तरह कम नहीं है। दक्षिणी भारत के एक ब्राह्मण लड़के की मुलाकात एक रेलगाड़ी में अनायास उत्तर भारतीय बनिया लड़की से होती है और पहली नजर में ही दोनों को प्यार हो जाता है। उनका प्यार परवान चढ़ता है और शादी कें बंधन में बंध जाते हैं। बाद में ये प्रेमी यु्गल अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत के लिए बेंगलुरु चले जाते हैं।
किन्तु उनके जीवन का सफर इतना सरल और खुशनुमा नहीं था। शिप्रा और नीरज के वैवाहिक जीवन की राह वित्तीय चुनौतियों से भरी थी। उनके समक्ष कई ऐसी समस्याएं थींए जो देश में उस वक्त जारी आर्थिक मंदी के कारण थीए लेकिन चुनौतियों से भरे वक्त ने उन्हें और अधिक मजबूत बनाया। आर्थिक मंदी के कारण नौकरी गंवाने की आशंकाओं के साथ जी रहे ये दम्पती आज एशिया के डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों में से एक के मालिक हैं। उनकी यह यात्रा उनकी प्रेम कहानी को पुनर्परिभाषित करता है।
अपने कारोबार को सफलता की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने का शिप्रा के दृढ़ संकल्प ने न केवल उसके पति और भाई को प्रेरित कियाए बल्कि हजारों लोगों को सफलता के लिए प्रयास करने और कभी हार न मानने के लिए प्रेरित किया।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली शिप्रा के माता.पिता अपनी बेटी और बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते थे। दोनों भाई.बहनों ने बेहतरीन स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा ग्रहण की और बड़े भाई डॉक्टर बन गये। शिप्रा ग्रेजुएशन के बाद एमबीए की पढ़ाई करना चाहती थीए लेकिन जब वह कॉलेज में थीए उसकी मुलाकात नीरज से हुई और दोनों ने जल्द ही शादी रचा ली।
नीरज एक तमिल ब्राह्मण परिवार से आते थेए जो बेंगलुरु में पले.बढ़े। उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की। वह बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और मानव संसाधन ;एचआरद्ध में पीजी डिप्लोमाधारी हैं। उन्होंने अपने कैरियर के नौ साल शीर्ष बहु.राष्ट्रीय कंपनियों में सेल्स विभाग में बितायेए लेकिन उन्हें वास्तविक खुशी कभी नहीं मिली। किन्हीं कारणों से उनका झुकाव हमेशा से जन सम्पर्क और जन प्रबंधन की ओर था और वह इस क्षेत्र में कार्य करना चाहते थे।
तदनुसारए दोनों ऐसे स्थायित्व की तलाश में सतत् प्रयत्नशीन रहेए जिसमें उन्हें उद्यमी बननने के लिए आंतरिक खुशी से किसी प्रकार का समझौता न करना पड़े। इसलिए जब उनके एक मित्र ने एशिया की एक जानी.मानी कंपनी ष्क्यूनेटष् के साथ डायरेक्ट सेलिंग के क्षेत्र में बिजनेस का प्रस्ताव रखा थाए तब उन्होने शुरू में इसे अतिरिक्त आय का एक स्रोत मात्र समझा था।
जरूरी शोध एवं प्रशिक्षण के बाद तथा डायरेक्ट सेलिंग कारोबार को मजबूत बनाने के लिए अपने अनुभवों का इस्तेमाल करके वह इसमें सफलता हासिल करने के लिए कृत संकल्प थी और इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की।
क्यूनेट के साथ दीर्घकालिक कारोबार को मजबूती देने में जिस तरह के पेशेवराना दक्षता शामिल थी और इसमें जिस स्तर के चिकित्सकए वकीलों से लेकर बैंकर एवं अन्य उच्च पेशा के लोग शामिल थेए वह इस संगठन की मजबूत वैल्यू सिस्टम का प्रमाण है। इन सभी चीजों ने उनकी धारणा ही बदल दी। जल्द ही कड़े परिश्रम का फल सामने आया और वे दोनों सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गये।
आज दोनों बुद्धिमता और कठिन परिश्रम का पर्याय बन चुके हैंए जिसकी बदौलत उन्होंने मजबूत उद्यम शुरू किया और आज वे अनेक युवाओं के सपने को पंख दे रहे हैं।