यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में रिहाई मंच ने भाजपा के जातीय-सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ किया सम्मलेन

लखनऊ: रिहाई मंच ने यूपी प्रेस क्लब में जातीय- सांप्रदायिक हिंसा, भारत बंद के बाद आन्दोलनकारियों के ऊपर फर्जी मुकदमे, रासुका और लगातार हो रही गिरफ्तारियों, फर्जी मुठभेड़, लोकतंत्र विरोधी विरोधी कानून यूपीकोका, आतंकवाद के नाम पर निर्दोषों की गिरफ्तारी, माब लिंचिंग, इन्साफ के लिए संघर्षरत राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर सत्ता के दमन के खिलाफ सम्मलेन किया.

सम्मलेन में योगी आदित्यनाथ के सांप्रदायिक बयानबाज़ी और हिंसा भडकाने के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता फरमान नकवी ने कहा कि वे आदालत में बहुत करीब से देखे कि एक आरोपी जब मुख्यमंत्री बन जाता है तो किस तरह से पद का दुरूपयोग करता है. योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अगर सपा–बसपा कार्यवाही की होती तो आज यह दिन नही देखना पड़ता. उन्होंने कहा की साम्प्रदायिकता के खिलाफ कोई भी लड़ाई सेक्युलरिज्म के मूल्य पर ही लड़ी जाएगी.

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि भाजपा सरकार आने के बाद से न सिर्फ दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों पर हमले बढ़े हैं बल्कि भारत का लोकतंत्र और संविधान तक खतरे में है. भाजपा राज में एक तरफ रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या कर दी तो दूसरी तरफ दलित समाज के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने वाले चन्द्रशेखर आज़ाद को रासुका के तहत निरुद्ध करके जेल में कैद कर दिया. नरेंद्र मोदी एक तरफ दावा कर रहे हैं कि अम्बेडकर को सबसे ज्यादा सम्मान उन्होंने दिया वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद को दलित-मित्र के सम्मान से सम्मानित करवा रहे हैं पर समाज जनता है की भाजपा सरकार बाबा साहेब के सपनों का रोज क़त्ल करती है दलितों-पिछड़ों के बेटों को फर्जी मुठभेड़ के नाम पर मारा जा रहा है. योगी आदित्यनाथ के ऊपर जिन-जिन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं उतने मुक़दमे तो फर्जी मुठभेड़ में मारे गए कई लोगों पर भी दर्ज नही है लेकिन अफ़सोस की बात है कि मुख्यमंत्री खुलेआम ठोकने बात करते हैं पर अपने ऊपर लगे आरोपों को नही देखते हैं. उन्होने कहा कि देश के तमाम संस्थानों में दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों को हाशिये पर ढकेला जा रहा है. सड़कों पर लड़ रहे युवा सरकार की इस क्रूरता का करार जबाब देंगे और यह देश बाबा साहेब के संविधान से चलेगा न कि मनुस्मृति से.

आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे एपीसीआर के अबू बकर सब्बाक ने कहा की चुनावी राजनीति में आतंकवाद की घटनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए होता आया है उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के आखिरी चरण में सैफुल्लाह एनकाउंटर इसका उदाहरण है. आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को फर्जी फसाये जाने वाली राजनीति न सिर्फ समाज में हो रहे विभाजन के लिए जिम्मेदार बल्कि आये दिन मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए भी जिम्मेदार है.

गोरखपुर के युवा नेता और वीरांगना उदादेवी समिति के अध्यक्ष अमर सिंह पासवान ने कहा कि भाजपा सरकार एक तरफ युवाओं के हक छीन रही है तो वही सडकों पर लड़ रहे युवाओं का दमन करवा रही है. उन्होंने अपने ऊपर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा की यह मेरे ऊपर हमला नही था बल्कि हर उस युवा के ऊपर हमला है जो एक बेहतर समाज और देश के लिय संघर्ष कर रहा है. पर हम डरने वाले नही हैं बल्कि इन्साफ और हक़ की लड़ाई हर कीमत पर लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि जब गोरखपुर में दलित मारे जा रहे हैं, दलित छात्र-छात्राओं के ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं, दलित बहनों पर लाठियां चलाई जा रही हैं. तब ‘दलित मित्र’ कहाँ चले जाते हैं. जो लोग दलित मित्र के सम्मान से योगी आदित्यनाथ को सम्मानित कर रहे उनके वजह से ही बाबा साहेब रोकर बोले थे कि अपने लोग की धोखा देंगे. बाबा साहेब नई पीढ़ी ऐसे लोगों को बेनकाब करेगी. अम्बेडकरवादी छात्र सभा यह सेंध मारी बर्दाश्त नही करेगी.

वर्धा हिंदी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और ‘भागलपुर सांप्रदायिक हिंसा: राष्ट्रीय शर्म के पच्चीस साल’ के लेखक शरद जयसवाल ने कहा कि बिहार में सांप्रदायिक हिंसा की उभर रही प्रवृति कोई नई घटना नही है. इसके लिए भाजपा के साथ ही साथ वो पार्टियाँ भी जिम्मेवार भी हैं जो सामाजिक न्याय के नामपर राजनीति करती आई हैं. उन्होंने कहा की एक तरफ भागलपुर में विषहरी पूजा तो अब रामनवमी के नाम पर साम्प्रदायिकता का खेल खेला जा रहा है. हाल तब और ज्यादा गंभीर हो जाती है जब मीडिया सांप्रदायिक जेहनियत से रिपोर्टिंग करने लगती है. उन्होंने कहा की कानपुर के वासिफ हैदर जो आतंकवाद के मामले में बरी हुए पर खबरों में उनको आतंकवादी लिखा जाता रहा. जिसके खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ रहे हैं औ सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को नोटिस भेजा है.

माईनार्टी कोआर्डीएशन कमेटी के मुजाहिद ने कहा की भजापा पूरे देश में गुजरात माडल लागू करना चाहती है जहाँ शिक्षा, रोजगार और इन्साफ कुछ भी जनता को न मिले.

एनसीएचआरओ के अंसार अहमद ने कहा की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार फर्जी मुठभेड़ के नाम पर हत्याएं हो रही हैं. यह सारी घटनाएँ जातीय-सांप्रदायिक राजनीति से संचालित हो रही हैं. फर्जी मुठभेड़ में मारे गए लोगों को देखा जाये ज्यादातर मारे गए लोग दलित-पिछड़े या मुसलमान हैं, इससे साफ़ होता है कि यह जातीय-सांप्रदायिक हिंसा है.

सम्मलेन में बिजनौर से आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार फैजान के पिता मुहम्मद फारुख ने कहा की मेरे बेटे को झूठा फंसाया गया है. एक न एक दिन उनको इन्साफ जरुर मिलेगा. मैं बहुत गरीब आदमी हूँ, खुद राजगीर का काम करता हूँ. बेटे की गिरफतारी से पूरा परिवार बर्बाद हो रहा है.

बाराबंकी महादेवा से आये पीड़ितों के परिजनों ने कहा की महादेवा में पहले तो सांप्रदायिक हिंसा के दौरान उनके साथ मारपीट हई फिर उनको गिरफ्तार किया गया. जिस दिन उनको जमानत मिलनी थी उसी दिन उनपर रासुका लगा दिया गया. दूसरी तरफ सांप्रदायिक तनाव के असली दोषी खुलेआम घूम रहे हैं.

सम्मलेन में दो रिपोर्टे भी जारी की गयीं. पहली रिपोर्ट ‘रेडीकलाईजेशन के नाम पर’ : उत्तर प्रदेश के चार जनपदों-आजमगढ़, कानपुर, बिजनौर और आजमगढ़ से आईएस के नाम पर गिरफ्तार आरोपियों की चार्जशीट, मीडिया रिपोर्ट और अन्य तथ्यों के आधार पर तैयार की गयी है. प्रदेश के पकडे गए लोगों के सम्बन्ध में यह प्रचारित किया गया कि वे आइएस से जुड़े हैं जबकि चार्जशीट में उनको स्व प्रेरित बताया गया है. दूसरी रिपोर्ट ‘जिंदाबाद-मुर्दाबाद के बीच फंसी देशभक्ति’ जारी की गयी जिसमें चैम्पियन ट्राफी के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैच में पाकिस्तान के पक्ष में नाराबाज़ी करने की अफवाह के बाद हुई घटना का तथ्यात्मक-विश्लेषणात्मक विवरण है.

सम्मलेन का संचालन मसीहुद्दीन संजरी ने किया. कार्यक्रम में अरुंधती ध्रुव, शाह आलम शेरवानी तारिक शमीम, रामकृष्ण, इनायतुल्ला, एमडी खान, सदफ जफ़र, दीपक कबीर, ओपी सिन्हा, केके वत्स, मोहम्मद मसूद, मन्दाकिनी, आतिफ, केके शुक्ला, सृजन योगी आदियोग, एहसानुलहक मालिक, फहीम, शिवनारायण , पीसी कुरील, प्रबुद्ध, संघलता, गुंजन सिंह, शहिरा नईम, हैदर अल्वी, गुफरान सिद्दीकी, बिरेन्द्र गुप्ता, मनन, शाने इलाही, लक्ष्मण प्रसाद, राजीव यादव, अनिल यादव आदि उपस्थित थे.