वही करें जो आप कहते हैं, और वही कहें जो आप करते हैं!
कंपनियों के मालिक, सीईओ और यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री भी लंबे समय तक काम करते हैं, लेकिन फिर भी वे अपने तमाम लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते हैं, और यही एक बात है जो उन्हें निराशा की तरफ ले जाती है।
तो अगर आप बेहतर परिणाम देना चाहते हैं, तो प्राथमिकता तय करना और योजना बनाना-यह बेहद जरूरी है।
फिर भी मेेरा मानना यह है कि एक सीधा और सरल काम और है जिसकी सहायता से हम उल्लेखनीय नतीजे हासिल कर सकते हैं। और यह काम है-
वही करें जो आप कहते हैं, और वही कहें जो आप करते हैं!
आॅबे रीबेलो के अनुसार सुनने मंे बहुत सरल लगता है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
जब कोई मीटिंग के लिए लेट होता है, तो आपके पास फोन आता है- ‘मैं बस दो मिनट में ही पहुंच रहा हूं!‘ कितना सटीक है? हकीकत में इसका मतलब कुछ भी हो सकता है- 10, 15 मिनट, यहां तक कि 30 मिनट भी।
‘यह काम 10 दिनों में पूरा हो जाएगा।‘ लेकिन आम तौर पर ऐसा नहीं होता। कोई काम निर्धारित समय पर पूरा नहीं होता। और जब देरी होती है, तो ऐसा बहुत कम होता है कि देरी के कारणों के साथ देर होने के संकेत दिए जाएं और काम पूरा होने की नई तिथि बताई जाए।
कई बार ऐसा भी होता है कि लक्ष्य पूरा होने का मतलब काम पूरा होना नहीं होता। उदाहरण के लिए, लक्ष्य के लिए निर्धारित 7 में से 5 काम पूरे हो जाएं, तो ऐसा बहुत ही कम होता है कि कोई यह कहे कि अभी 7 में से 5 काम पूरे हुए हैं और बाकी 2 काम 3 दिनों में पूरे हो जाएंगे।
भारत में हम में से बहुत सारे लोग ‘वह नहीं करते, जो वे कहते हैं और वह नहीं कहते, जो हम करते हैं‘। हमारा अंदाज यही होता है- सब चलता है!
काम के प्रति ईमानदार रहते हुए जो भी करें, उसका फाॅलोअप भी करें। पर हम निर्धारित की गई तिथियों को लेकर कभी भी कमिटेड नहीं होते और दूसरी तमाम गतिविधियां भी शुरू कर देते हैं;
और नतीजा! काम में देरी, समीक्षा और बैठकों का दौर, फोन काॅल्स, मेल और फिर निराशा!
कल्पना कीजिए कि क्या हो अगर हर कोई यह आदत अपना ले- वही करें जो आप कहते हैं, और वही कहें जो आप करते हैं!
इस कार्य नीति के लिए आवश्यक है कि सभी पहलुओं और कार्य पूर्ण होने से जुडे सभी मसलों और निर्भरता को समझने के बाद वचनबद्धता दी जाए। और प्रतिबद्ध तारीखों तक काम पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए। सीधी और सरल चीजों से शुरु करें, जैसे मीटिंग के लिए ठीक समय पर पहुंचें।
अगर निर्धारित तारीखों तक लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता, तो इसके बारे में कारणों के साथ नियत दिनांक से पहले अवगत कराया जाना चाहिए और एक नई तारीख दी जानी चाहिए। धीरे-धीरे उन सभी कारकों के बेहतर विश्लेषण के साथ जो नतीजे पर प्रभाव डालते हैं, प्रतिबद्ध तिथियों से पीछे हटना कम करना चाहिए। फिर भी अगर कोई भी गिरावट हो, तो ऐसा निर्भरता के कारण हो सकता है जिस पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है या जिसे सही तरीके से दुरुस्त नहीं किया जा सकता।
काम की ऐसी नीति अपनाएंगे, तो इसके कई लाभ हांेगे। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
फाॅलो-अप एक्टिविटीज कम होंगी।
पूर्व में पूरे किए गए काम के आधार पर तैयार होने वाली भविष्य की योजनाओं की प्लानिंग बेहतर तरीके से हो सकेगी, उनका शैड्यूल अच्छे से बन सकेगा और इन्हें आप जल्दी पूरा कर पाएंगे।
बैठकें और समीक्षाएं छोटी और चुस्त होंगी।
उत्पादकता और ग्राहक संतुष्टि में इजाफा होगा।
इस कार्य नीति के लिए किसी को अपनी क्षमता से परे काम करने की आवश्यकता नहीं है और इससे टीम की गतिशीलता में भी सुधार होगा, क्योंकि इसके लिए सिर्फ समय पर काम पूरा करने की प्रतिबद्धता, समयबद्धता और संचार में सटीकता की आवश्यकता होगी। इस प्रक्रिया को कोई भी अपना सकता है- विशेषज्ञ द्वारा, गैर विशेषज्ञ द्वारा, ‘‘ए‘‘ श्रेणीबद्ध टीम के सदस्यों के साथ-साथ ‘‘सी‘‘ श्रेणी के टीम मेंबर्स द्वारा।
पुरानी आदतें मुश्किल हो जाती हैं, और एक टीम लीडर को अपनी टीम को कार्य नीति समझाना चाहिए और नियमित रूप से समीक्षा करना चाहिए कि नई कार्य नीति का पालन किया जाता है या नहीं। सबसे पहले यह जरूरी है कि हमारे टाॅप लीडर्स इस कार्य नीति का पालन करें।
कभी-कभी ग्राहकों और प्रबंधन की तरफ से इस बात का बेहद दबाव होता है कि बहुत कम समय अवधि में डिलीवरी पूरी की जाए। दबाव की स्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ लोग एक ऐसी समय सीमा तक प्रतिबद्धता दे देते हैं, जिसके बारे में वे खुद भी अनिश्चित होते हैं। इससे बचा जाना चाहिए। आप लोगो की नाखुशी को सहन करने के लिए तैयार रहिए और अपनी प्रतिबद्ध तारीखें पर ही काम पूरा कीजिए। आखिरकार 9 महीनों से पहले कोई भी बच्चा जन्म नहीं ले सकता है, ठीक उसी तरह कुछ लक्ष्य ऐसे होते हैं, जिन्हें पूरा करने में अपेक्षा अधिक समय लग सकता है।
नियमित तौर पर ध्यान रखा जाए, तो सही कार्य नीति को अपनी टीम के डीएनए का हिस्सा बनने में 3 से 6 महीने लगेंगे।
हमारे देश को जीवंत और महान बनाने के लिए हमें अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन और सरकार और राजनीति में इस कार्य नीति को अपनाना चाहिए।
यहां तक कि एक केंद्रित और मेहनती प्रधानमंत्री ही बेहतर परिणाम देने में सक्षम होंगे, यदि पूरा सरकारी तंत्र इस कार्य नीति को अपनाता है।
मेरा मानना है कि इस कार्य नीति का पालन करना सबसे आसान रास्ता है, जो हमारे देश को महान बना सकता है। इसलिए हमें अपने रोजमर्रा के जीवन में इस कार्य नैतिकता को अपनाने का प्रयास करना चाहिए और इसी तरह हम सभी के लिए एक महान भविष्य सुनिश्चित हो पाएगा।