क्या केन्या की वजह से अफ्रीका महाद्वीप दो हिस्सों में बंट जाएगा? भूगर्भ वैज्ञानिकों (जियोलॉजिस्ट्स) ने ऐसी आशंका जाहिर की है. दरअसल, केन्या के नैरोबी-नारोक हाइवे के नज़दीक कई किलोमीटर लंबी दरार आ गई है. भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, हाल ही में यहां धरती के टेक्टॉनिक प्लेट्स में हलचल (भूंकपीय गतिविधि) हुई थी. जिसके बाद कई मील की दूरी तक दरार पड़ गई. भूगर्भ वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि ये दरार अफ्रीकी महाद्वीप को दो हिस्सों में बांट देगा.

भूगर्भ वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर तेजी से बदलाव हो रहे हैं. इनमें से ऐसे कई बदलाव हैं, जिनपर हमारी नज़र नहीं पड़ रही. केन्या के पहले इथिओपिया के अफार इलाके में ऐसी दरार देखी गई थी. 2005 में सिर्फ 10 दिनों के अंदर 60 किलोमाटर लंबी दरार 8 मीटर चौड़ी हो गई थी. ये घटना यकीन से परे है.

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी पर होने वाले किसी खास बदलाव में लाखों साल लगते हैं. लेकिन, केन्या में पड़ी दरार को देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले वक्त में स्थिति तेजी से बदलने वाली है. क्योंकि, धरती के केंद्र की गर्म पिघली चट्टानें सतह की ओर बढ़ रही हैं, जो अफ्रीका महाद्वीप को दो हिस्सों में बांट सकती है.

धरती का लिथोस्फेयर (क्रस्ट और मैंटल का ऊपरी हिस्सा) कई टेक्टॉनिक प्लेटों में बंटा होता है. ये प्लेट्स अलग-अलग स्पीड से आगे बढ़ती जाती हैं. लिथोस्फेयर के नीचे एस्थेनोस्फेयर होता है और ये प्लेट्स एस्थेनोस्फेयर के ऊपर सरकती रहती हैं. माना जाता है कि एस्थेनोस्फेयर के बहाव और प्लेटों की बाउंड्री से पैदा हुए फोर्स इन्हें डायनैमिक बनाते हैं. ये डायनैमिक फोर्स टेक्नॉनिक प्लेट्स को कभी-कभी तोड़ भी देती हैं. इससे धरती में दरार पैदा होती है.

दरअसल, पूर्वी अफ्रीका दरार घाटी दक्षिण में जिम्बॉब्वे की तरफ उत्तर में एडेन की खाड़ी से 3000 किलोमीटर की दूरी पर फैली हुई है. ये अफ्रीकी प्लेट को दो असमान भागों में बांटती है. जब लिथोस्फीयर हॉरिज़ॉन्टल एक्पैंडिंग फोर्स (क्षैतिज विस्तारिक बल) के नीचे होता है, तो यह फैलकर पतली होगी, जिसे भू-गर्भीय भाषा में 'रिफ्ट' कहते हैं. रिफ्ट होने से आखिरकार ये हिस्सा टूटेगा.

इथिओपिया के अफार इलाके का कुछ हिस्सा समुद्र तल से नीचे है, बस एक 20 मीटर चौड़ी जमीनी पट्टी इसको अलग करती है. जैसे-जैसे दरार फैलती जाएगी, तो समुद्र का पानी इसमें भर जाएगा. इससे एक नया समुद्र बनेगा, जो सब सोमालियाई प्लेट को दूर धकेल देगा. इस तरह सोमालिया और साउथ इथिओपिया अलग हो जाएंगे. फिर अफ्रीका बहुत छोटा हो जाएगा और हिंद महासागर बड़े द्वीप के रूप में उभरेगा.

रिफ्ट्स एक महाद्वीप के टूटने की शुरुआती प्रक्रिया है. अगर ऐसा हुआ, तो एक नया महासागर बेसिन के गठन का कारण बन सकता है. इसके पहले दक्षिण अटलांटिक महासागर के साथ ऐसा हो चुका है. अब देखना होगा कि क्या अफ्रीका महाद्वीप के साथ भी ऐसा ही होता है या नहीं.