अयोध्या विवाद: पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच के पास मामला भेजने का फैसला अगली सुनवाई में
नई दिल्ली: अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने की. सुनवाई पूरी होने के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षकारों की दलील सुनने के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इस मामले को पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच के पास भेजी जाए या नहीं. मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. इससे पहले 14 मार्च को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि को लेकर दायर 32 नई याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने साफ-साफ कहा था कि इस मामले को लेकर अब कोर्ट कोई नई याचिका स्वीकार नहीं करेगा. बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी की भी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं. पिछली सुनवाई में उन्होंने मामले के सभी पक्षकारों से कहा था कि उनके पास जो भी दस्तावेज हैं, वे उसका इंग्लिश ट्रांसलेशन लेकर कोर्ट आएं.
बता दें, राम जन्मभूमि विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में फैसला दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दर्जनों याचिकाएं दायर की गई थीं. फिलहाल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 13 याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है. 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में बांट दिया था. इस मामले में तीन पक्षकार हैं. पहला- सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला. हाईकोर्ट ने तीनों पक्षकारों को बराबर जमीन बांट दी थी.
आज की सुनवाई में इस मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजने की मांग दोबारा उठी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन ने कहा कि अगर बहुविवाह का मामला संवैधनिक पीठ के पास भेजा जा सकता है, तो ये क्यों नहीं? राजीव धवन ने कहा कि बहुविवाह से ज्यादा महत्वपूर्ण ये मामला है कि मस्जिद में नमाज अदा करना इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं. राजीव धवन ने कहा कि एक तरफ आपने बहुविवाह का मामला संवैधनिक पीठ के पास भेज दिया, जबकि इसमें तय किया जा रहा है कि इसे भेजा जा सकता है या नहीं.
इसपर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि पिछली सुनवाई में भी आपने इस मामले को संवैधानिक बेंच को भेजने की मांग की थी. पहले भूमि विवाद मामले में सुनवाई करते हैं, फिर इस मामले पर विचार किया जा सकता है. राजीव धवन ने कहा इस मामले का इस्माइल फारूखी केस के फैसले का असर पड़ेगा, इसलिए इसको पहले सुना जाना चाहिए. दरअसल स्माइल फारूकी के फैसले के एक हिस्से में कहा गया है कि इस्लाम के अनुयाइयों को नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद अभिन्न हिस्सा नहीं है.
स्माइल फारूखी के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने वकील राजीव धवन को कहा कि आप हमें संतुष्ट करें कि इस मामले को संवैधनिक पीठ को भेजा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये बहस का कोई तरीका नहीं होता कि आप कह रहे है कि इस्माइल फारुखी केस को संविधान पीठ के पास भेज दिया जाय और आप वहां बहस करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम तय करेंगे कि मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं.