2019 से पहले बीजेपी कहेगी कि अंबेडकर राम भक्त थे: प्रकाश, आनंद अंबेडकर
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सरकारी रिकार्ड में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का नाम अब ‘भीमराव रामजी आंबेडकर‘ के तौर पर दर्ज किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस सिलसिले में शासनादेश जारी किया है। योगी सरकार के इस फैसले की विपक्ष ने आलोचना तो की ही है बीआर अंबेडकर के पोतों प्रकाश अंबेडकर और आनंद अंबेडकर ने भी इसे महज वोट बैंक करार दिया है। प्रकाश अंबेडकर ने न्यूज 18 से बातचीत में कहा कि बीजेपी 2019 चुनाव से पहले अपना एजेंडा चाहती है और ये सारा काम सिर्फ वोट बैंक के लिए कर रही है। उन्होंने कहा, “बीजेपी चाहती है कि 2019 के चुनाव से पहले इसका अपना एजेंडा तैयार हो जाए, मेरी इंद्रियां कहती है कि चुनाव आते आते ये लोग मतदाताओं को कह सकते हैं कि अंबेडकर भी रामभक्त थे।” हालांकि प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि वह अपने हस्ताक्षर में भीमराव रामजी अंबेडकर लिखा करते थे, लेकिन बाकी सभी दूसरे जगहों पर वह सिर्फ पहले अक्षर का इस्तेमाल करते थे।
आनंद अंबेडकर ने कहा कि यूपी सरकार से किसी ने भी नाम बदलने से पहले उनसे या उनके परिवार के किसी सदस्य से संपर्क करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि वह यूपी सरकार का ड्राफ्ट कॉपी पढ़ने के बाद आगे की कार्यवाही पर फैसला करेंगे। आनंद अंबेडकर ने भी कहा कि उनके दादा जी मराठी में अपना पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर लिखकर हस्ताक्षर करते थे। लेकिन हिन्दी और अंग्रेजी में वह सिर्फ बीआर अंबेडकर लिखते थे। उन्होंने कहा, “बीआर अंबेडकर अपने पिता रामजी मालोजी सकपाल पर गर्व करते थे वह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे और महाष्ट्र की परंपरा के अनुसार उन्होंने अपने पिता के नाम को अपनाया। आनंद अंबेडकर ने कहा उनके नाम में अब रामजी क्यों लाया जा रहा है, इसके पीछे क्या राजनीतिक मकसद है। बीजेपी सांसद और दलित नेता उदित राज ने भी कहा कि उनके निधन के इतने सालों पर नाम को बदलने का कोई मतलब नहीं है।
बसपा मुखिया मायावती ने भी राज्य सरकार के इस कदम को ‘दिखावटी’ और ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने की कोशिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग दलितों के वोट के स्वार्थ के खातिर अपने दिल पर पत्थर रखकर अम्बेडकर का नाम लेते रहते हैं और उनके नाम पर तरह-तरह की नाटकबाजी करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को कोई उनके पूरे नाम से सम्बोधित नहीं करता। क्या भाजपा सरकारी विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम लिखती हैं? ऐसे में सिर्फ बाबा साहब के नाम पर ही स्वार्थ की राजनीति क्यों हो रही है।