भोजपुरी सिनेमा को पवित्र कर देगा फिल्म ‘डमरू’ : पदम सिंह
भोजपुरी की बहुचर्चित फिल्म ‘डमरू’ 6 अप्रैल से देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी, मगर इससे पहले फिल्म के अभिनेता पदम सिंह ने दावा किया है कि यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा को पवित्र कर देगी। उनका मानना है कि यह फिल्म उन लोगों को जरूर देखना चाहिए, जो भोजपुरी फिल्मों से कन्नी काटते हैं। इस फिल्म में गुरू – शिष्य परंपरा के साथ भोजपुरिया समाज और संस्कृति का बेहतर सामंजस्य देखने को मिलेगा। बता दें कि फिल्म ‘डमरू’ में पदम सिंह फिल्म की लीड अभिनेत्री याशिका कपूर के पिता के किरदार में नजर आ रहे हैं, जिनकी शख्सियत एक दबंग जमींदार की है।
गंगाजल, अपहरण, चक दे इंडिया, द लीजेंड ऑफ भगत सिंह जैसी फिल्मों में नजर आ चुके अभिनेता पदम सिंह की मानें तो युवा निर्देशक राजनीश मिश्रा और प्रोड्यूसर प्रदीप शर्मा ने ने मिलकर फिल्म ‘डमरू’ जैसी शानदार फिल्म बनाई है। उन्होंने हिंदी और भोजपुरी इंडस्ट्र के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि दोनों इंडस्ट्री काफी अलग है और दोनों का अपना महत्व है। जहां तक बात डमरू की है, तो यह भी किसी हिंदी फिल्म से कम नहीं है। संवेदना और भाव भंगिमा ही अभिनय की मूल में हैं, जो इस फिल्म में बखूबी देखने को भी मिलेगा।
उन्होंने फिल्म के बारे में बताया कि ईश्वर का महत्व भक्ति से है। इसलिए युग बदले, मगर नहीं बदला तो ईश्वर के प्रति भक्ति भाव। आरध्य उस वक्त भी थे और आरध्य आज भी हैं। भक्ति हर जगह विद्यमान है। चाहे विवेका नंद की भक्ति हो या द्रोणाचार्य गुरू शिष्य परंपरा में। ईश्वर की भक्ति का न तो अंत हो सकता है और न होगा। उन्होंने बताया कि फिल्म ‘डमरू’ के निर्माता प्रदीप कुमार शर्मा हैं, जो खुद भी भोजपुरिया माटी से आते हैं और उनकी सोच भोजपुरी सिनेमा के स्तर को उपर उठाना है। इसी सोच के तहत वे भोजपुरिया संस्कार, भाषा और मर्यादा के मर्म दुनिया के सामने रखने का प्रयास करते रहते हैं। उनकी इसी सोच की उपज है फिल्म ‘डमरू’।
भोजपुरी फिल्मों पर लगते रहे अश्लीलता के आरोप पर अपनी बेबाक राय रखी और कहा कि अर्थ में अनर्थ तलाशने पर अनर्थ ही मिलेगा। फूहड़ता की जहां तक बात है, तो फिल्म की कहानी समाज के बीच की ही होती है। उन्हीं परिवेश को हम पर्दे पर दिखाते हैं। जिसका मतलब ये कभी नहीं होता है कि हम उसे बढ़ावा दे रहे हैं।