बसपा सुप्रीमो का चिन्तन संकीर्ण सोच के सिन्ड्रोम से ग्रस्त: डॉ महेंद्र नाथ पांडेय
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि बसपा सुप्रीमो का चिन्तन अत्यन्त संकीर्ण सोच के सिन्ड्रोम से ग्रस्त है. उन्होंने कहा कि बसपा अपने उद्भव काल से ही संकीर्ण सोच की मानसिकता से ग्रस्त है. उन्होंने कहा कि मायावती के मुंह से बाबा साहेब की सोच के समतामूलक समाज की बात अच्छी नहीं लगती. मायावती से मुख्यमंत्री के रूप में उन्हीं के दल के सांसद, विधायकों को मिलना समभव नहीं था. नंगे पैर ही उनके आवास में प्रवेश किया जा सकता था और उनके सामने उन्हीं के दल का बड़ा से बड़ा नेता कुर्सी पर नहीं बैठ सकता था.
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे तानाशाही सोच की बसपा सुप्रीमों के मुख से समता व मानवतावादी समाज संरचना के लिए बाबा साहेब अम्बेडकर की बात किसी को अच्छी नहीं लगती है. उन्होंने कहा कि तानाशाही सोच व व्यवहार की बसपा सुप्रीमो ने बाबा साहेब और कांशीराम जी के नाम का प्रयोग केवल वोटों के व्यापार के लिए किया, जो जग जाहिर है. उन्होंने कहा कि जातिवादी समाज में भेदभाव और समाज को टुकड़ों में बांटने की नीति बसपा की रही है.
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीति पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय की है. जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ-सबका विकास का संकल्प लेकर कार्य कर रहे हैं. गरीबों, दलितो, पिछड़ो के उत्थान की अनेक कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित कर भय-भूख व भ्रष्टाचार मुक्त नए भारत के निर्माण के लिए कार्य कर रहे हैं.
प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर का दर्शन ही सबका साथ-सबका विकास है. डा0 अम्बेडकर दलित, पिछड़े, शोषित वर्ग की आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समानता और राजनीतिक सहभागिता के पक्षधर थे. मोदी जी अम्बेडकर जी की प्रेरणा से ही हर योजना से गरीब कल्याण के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं. मायावती यदि मुद्रायोजना, स्टार्टअप, स्टैण्डअप, जनधन खाता, प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला, सौभाग्य योजनाओं के लाभार्थियों की सूची देखें तो दलित, पिछड़ों की समृद्धि से आंखें चुंधियां जाएंगीं.
उन्होंने कहा कि दरअसल मायावती का उद्देश्य दलित, पिछड़ों को वोटबैंक बनाकर सिर्फ अपनी तिजोरी भरने का काम है. मायावती चार बार मुख्यमंत्री बनने के दौरान अपनों कोई एक काम बताएं, जिससे दलित व पिछड़ों को लाभ मिला है. आज देश नहीं पूरे विश्व ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार किया है. मायावती को एक गरीब, पिछड़े समाज से आए व्यक्ति का देश का नेतृत्व करना हजम नहीं हो रहा है.