दिलकुशा पैलेस मे बहेगी संगीत की यमुना
5वें वाजिद अली शाह फेस्टिवल का आयोजन 25 मार्च को
लखनऊ : उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इंडिया ग्लाइकाल लिमिटेड एवं हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के सहयोग से फाउंरूमीडेशन, लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रस्तुत 5वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल, "यमुना – दरिया प्रेम का" : मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक कत्थक नृत्य 25 मार्च को दिलकुशा पैलेस मे धूमधाम से मनाया जाएगा इसकी घोषणा आज आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान मुजफ्फर अली द्वारा की गयी ।
उन्होने बताया कि विषय यमुना – दरिया प्रेम का: यमुना खुसरो के जीवन का हिस्सा थी और खुसरो यमुना का हिस्सा थे। नदी बहती थी तथा खुसरो ने इसके किनारे पर अपने बदलते हुए लय-ताल को परिकल्पित किया। उसने उन्हें सुंदरता का वर्णन करने के लिए शब्द दिए। प्रेम की सुंदरता।
उन्होने अपनी गायों के गले में बंधी घण्टियों की आवाज सुनी और उनके आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने गोपियों संग कृष्ण की रास-लीला देखी थी। उन्होंने विभिन्न 'रागों' और 'बन्दिशों' में प्रकाश और अंधकार की अपनी हजारों छाया में राधा की आत्मा से निकली बांसुरी की आवाज सुनी थी तथा प्रत्येक जाते हुए मौसम और उम्र में इन शब्दों का अर्थ ढूँढना शुरू किया। यमुना हमारे इतिहास की समयपाल थी और खुसरो एक प्रतिष्ठित मील का पत्थर थे। 'यमुना – दरिया प्रेम का' अपने 'प्रेमियों' की रचना में यमुना की भावना का प्रतिबिंब है। वे सूफी जिनका जीवन नदी से जुड़ा है और वह उनके शिराओं में बहती महसूस होती है और अपनी चिरकाल से कृष्ण को देखा है।
जैसे-जैसे समय बीतता गया केवल यमुना ही मानव आत्मा की कालनिरपेक्षता, पौराणिक कथा के आधार की याद दिलाने के लिए शेष है। और यह महसूस कराती है जो अनंत बांसुरी की आवाज है। कार्य करने की याद दिलाना।