लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार और निजी स्कूलों की लड़ाई में यूपी के हजारों गरीब छात्रों के एडमिशन पर मुसीबत खड़ी हो गई है. एक तरफ शिक्षा विभाग आरटीई के तहत गरीब बच्चों को दाखिला देने के लिए आवेदन ले रहा है. वहीं दूसरी तरफ निजी स्कूलों ने ऐसे बच्चों को एडमिशन देने से इंकार कर दिया है. प्रदेश के करीब 2 हजार निजी स्कूलों ने सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि बकाया फीस भुगतान न होने तक वह आरटीई में बच्चों को एडमिशन नहीं देंगे.

इस साल विभाग 30 हजार से अधिक छात्रों को आरटीई से एडमिशन दिलाने की उम्मीद कर रहा है. ऐसे में स्कूलों के इस फैसले से न सिर्फ बच्चों बल्कि बेसिक शिक्षा विभाग की उम्मीदों को भी बड़ा झटका लगा है. इंडीपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के यूपी अध्यक्ष डॉ मधुसूदन दीक्षित ने बताया कि शिक्षा विभाग पिछले 2 साल से निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का एडमिशन तो करा रहा है लेकिन उनकी फीस स्कूल को नहीं दी जा रही है.

इसकी वजह से स्कूलों ने तय किया है कि वह अब बच्चों को एडमिशन नहीं देंगे. इतना ही नहीं अब निजी स्कूल मनमानी पर भी उतर आए हैं. वह न सिर्फ पुराना बकाया मांग रहे हैं बल्कि अगले सत्र के लिए उनके यहां जितने गरीब बच्चों का एडमिशन कराया जाना है, उनके लिए भी एडवांस फीस चाहते हैं. निजी स्कूलों के इस फैसले से गरीब परिवार के बच्चों को बड़ा धक्का लगा है. वहीं शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इन स्कूलों को दो साल में सिर्फ 6 महीने की ही फीस की प्रतिपूर्ति की गई है. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार से बजट आते ही बाकी पैसा दिया जाएगा.