लखनऊ: सरकार फ़ख़रूल ओलमा की इल्मी यादगार हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तबलीग़ (मौलाना आलिम साहब का मदरसा) मुसाहबगंज में कल रात नजफ़े अशरफ़ से आये हुए हज़रत आयतुल्लाह हसन रज़ा ग़दीरी साहब क़िब्ला और उनके फ़रज़न्द हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना हाषिम रज़ा ग़दीरी साहब क़िब्ला का पुरजोश अंदाज़ से इस्तेक़बाल किया गया।

इस मौक़े पर मदरसे के सरबराह मौलाना मिर्ज़ा जाफ़र अब्बास साहब व प्रिंसिपल मौलाना मिर्ज़ा रज़ा अब्बास साहब व असातिज़ा व डाक्टर सरवत तक़ी साहब ने आयतुल्लाह की गुलपोशी की। मदरसे के सरबराह मौलाना जाफ़र अब्बास साहब ने आयतुल्लाह का वहाबियों के साथ लंदन में एक मुनाज़िर जो सोलह (16) दिन तक हुआ था, जिसमें आयतुल्लाह की फ़तह हासिल हुई थी। इस मुनासिबत से एवार्ड से नवाज़ा। उसके बाद मदरसे के सरबराह मौलाना जाफ़र अब्बास साहब ने हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तबलीग़ का एक मुख़्तसर तार्रूफ़ पेश किया और कहा कि यह एक ऐसा वाहिद मदरसा है, जो सरकारे फ़ख़रूल ओलमा मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद आलिम साहब की अपनी ज़ाती मिल्कियत आबाई घर पर बना है, जो एक बहुत बड़ा ईसार है, और आयतुल्लाह को मदरसे के क़याम से लेकर अब तक की मेहनतों और काविशों से आगाह कराया। मौलाना ने आयतुल्लाह की जामेअतुत तबलीग़ में आमद का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि आयतुल्लाह की आमद मदरसे के इफ़्तिख़ार में इज़ाफ़ा करती है। आयतुल्लाह के साथ उनके बेटे मौलाना हाशिम रज़ा ग़दीरी व मौलाना अली अब्बास साहब का इस्तेक़बाल किया गया। मदरसे के होनहार तालिबे इल्म मौलाना ज़ीशान हैदर ख़ां साहब ने ओलमा की आमद पर एक नज़्म पेश की। उसके बाद आयतुल्लाह हसन रज़ा ग़दीरी साहब ने तक़रीर फ़रमाई, जिसमंे आपने फ़रमाया कि जामेअतुत तबलीग़ एक ऐसा इल्मी इदारा है, जिसकी मेहनतों और काविशों को फ़रामोश नहीं किया जा सकता है। यह मदरसा एक इल्मी ज़ख़ीरा है। हम लोग जो दीगर मज़ाहिब से एक अलग तशख़ीस रखते हैं उसका एक सबसे बड़ा सबब यह है कि रसूल ने फ़रमाया कि ‘‘अना मदीनतुल इल्म व अलीयुन बाबोहा’’ हम लोग बाबे मदीनतुल इल्म से वाबस्ता हैं। आयतुल्लाह ने कहा कि आलिम के चेहरे पर नज़र करना इबादत है और इस वक़्त अलहम्दो लिल्लाह मौलाना मिर्ज़ा जाफ़र अब्बास साहब ने इतने ज़्यादा आलिमेदीन यहां पर जमा किये हैं और यह हमारा सफ़र इबादती सफ़र है। इस वक़्त दुश्मन हमारे ऊपर माद्दी ताक़तों से हमला कर रहा है। अगर चे उसके जवाब के लिये हमारे पास माद्दी ताक़त कम है, तो हमको दुष्मन का जवाब अपनी इल्मी ताक़त से देना है, जो कु़व्वत हम सब के क़लम में मौजूद है, जिससे हमसब को जवाब देना है। और यह मदरसा दुश्मन को जवाब देने का बेहतरीन वसीला है। आयतुल्लाह ने अपनी तक़रीर के आखि़र में सरकारे फ़ख़रूल ओलमा की मेहनतों और काविषों से सरशार मदरसा जमाअतुत तबलीग़ को उनका एक अज़ीम कारनामा बताया। और कहा कि यह सरकारे फ़ख़रूल ओलमा की रूहे पुरफ़ुतूह की बुलन्दिये दरजात का एक अज़ीम ज़रिया है, जो हमेशा सवाबे जारिया के तौर पर जारी और सारी रहेगा। आयतुल्लाह ने मौलाना जाफ़र अब्बास साहब का भी अपने अल्फ़ाज़ में शुक्रिया अदा किया। उसके बाद आयतुल्लाह व दीगर शोरका की ज़ियाफ़त का एहतेमाम किया गया।