एक्टर होना अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आने की चुनौती देता है: ज़ायरा वसीम
असाधारण उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीतने वाली ज़ायरा वसीम 17 वर्षीय एक्टर हैं, जिन्होंने अपनी बेमिसाल परफॉर्मेंस से दर्शकों का दिल जीत लिया है। फिल्म ‘दंगल‘ में एक कुश्ती चैंपियन का रोल निभाने के बाद ज़ायरा ने फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार‘ में इन्सिया के किरदार से दर्शकों की आंखों से आंसू छलका दिए। होम ऑफ ब्लॉकबस्टर्स ज़ी सिनेमा पर रविवार 25 फरवरी को होने जा रहे ‘सीक्रेट सुपरस्टार‘ के वल्र्ड टेलीविजन प्रीमियर से पहले ज़ायरा वसीम से खास बातचीत हुई। पेश उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश—
इन्सिया रोल का ऑफर मिलने पर कैसा महसूस हुआ?
इन्सिया का रोल निभाना मेरे लिए बड़ी चुनौती रही। मैं इस किरदार से व्यक्तिगत रूप से नहीं जुड़ती क्योंकि मेरे लिए प्रेरणा का ऐसा कोई स्रोत नहीं है। इन्सिया की जिंदगी में बहुत सारी बंदिशें हैं जबकि मेरे व्यक्तिगत जीवन में मुझे अपने फैसले लेने की पूरी आजादी है। हालांकि एक एक्टर होना, आपको अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आने की चुनौती देता है।
यह रोल करते वक्त आपके दिमाग में क्या विचार आए?
जब मैं कोई रोल चुनती हूं तो मुझे इसके प्रति पूरा विश्वास होना जरूरी है। तो मैं कह सकती हूं कि मेरे इसी विश्वास के चलते मैं यह रोल निभा पाई। फिल्म में गुजरात की इस युवा मुस्लिम लड़की की प्रेरणादायक कहानी, जो अपने रूढ़िवादी पिता के द्वारा लगाई गई तमाम पाबंदियों के बावजूद एक मशहूर सिंगर बनती है।
आमिर खान और मेहेर विज के साथ काम करने के क्या अनुभव रहे?
मैं उनके काम को लेकर कमेंट करने वाली कोई नहीं होती। वे बेहतरीन कलाकार हैं और सभी ने बहुत प्यार से अपना रोल निभाया। ये बात इस फिल्म में साफ झलकती है।
क्या आपका भी कोई सपना है, जिसे आप पूरा करना चाहती हैं?
इस फिल्म के लिए हमें जिस तरह का प्रतिसाद मिला, उससे हमें एक कलाकार के रूप में समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास हुआ। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी फिल्में नकारात्मक संदेश ना फैलाएं क्योंकि इसका समाज पर सीधा असर होता है।
आप व्यक्तिगत जीवन में इन्सिया से कितनी समान या कितनी अलग हैं?
मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे एक प्यार करने वाला और साथ देने वाला परिवार मिला। ऐसे में मुझे कभी इन्सिया जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा।
अपने दर्शकों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
रियल लाइफ में ‘सीक्रेट सुपरस्टार‘ दरअसल हमारी मांएं हैं। हम कभी भी उस त्याग की सराहना नहीं करते जो मां अपने बच्चे के लिए करती है।