योगी सरकार का दूसरा बजट–मिशन 2019 वाया गांव और युवा
-आशीष वशिष्ठ
2019 में होने वाले चुनाव का असर आज पेश हुए आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के बजट में भी दिखा। चुनावी साल में योगी सरकार के बजट में भी गांव, गरीब एवं किसानों पर जोर है। खेती-किसानी और ग्रामीण विकास के लिए बजट में विशेष प्रावधान हैं तो वहीं युवाओं का रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्टार्ट अप योजना के लिए सरकार ने भारी रकम की व्यवस्था की है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए 4 लाख 28 हजार 384 करोड़ 52 लाख रुपये का बजट विधानसभा में पेश किया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 1 फरवरी को वर्ष 2018-19 के लिए जो बजट पेश किया था, उसमें भी मुख्य फोकस किसानों, गरीबों और कमजोर तबकों पर रहा और उनके लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत का ऐलान किया गया। योगी सरकार का यह दूसरा बजट है। बजट घाटे का है, लेकिन कोई नया कर नहीं लगाया गया है। कई नयी योजनाओं की घोषणा की गयी है। योगी सरकार का यह दूसरा बजट पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11.4 प्रतिशत अधिक है। सरकार ने बजट में 14,000 करोड़ रुपये की नई योजनाओं की घोषणा की है। कुल मिलाकर योगी सरकार की पोटली से चुनावी बजट निकला है।
मोदी सरकार के चुनावी बजट के बाद यह कयास लगाये जा रहे थे कि केंद्र की तर्ज पर योगी सरकार चुनावी साल में बजट भी चुनावी होगा। योगी सरकार के बजट में चुनाव चुनावी लक्ष्य साधने के लिए युवाओं और अन्नदाताओं को भी भरपूर तवज्जो दी गयी है। केंद्रीय योजनाओं के लिए दरियादिली दिखाते हुए खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों को उनका ज्यादा से ज्यादा फायदा दिलाने की कोशिश भी बजट में दिखी है। साथ ही आधारभूत ढांचे के विकास के लिए करोड़ों रुपये आवंटित कर सरकार की विकासवादी छवि को पुख्ता करने की कोशिश की है। पिछले साल सूबे की सत्ता पर योगी सरकार के विराजमान होने के बाद बजट पेश किया था। लोक कल्याण का संकल्प लेते हुए अपना पहला बजट भी गांव, खेत, किसान के नाम किया था।
सरकार ने अपना पहला बजट बेहद कशमकश की दशा में पेश किया था। उसके सामने अपने चुनावी वादे के अनुरूप लघु व सीमांत किसानों के कर्ज माफ करने की चुनौती थी। कर्ज माफी के भारी-भरकम खर्च की चुनौती से निपटने में अपने तमाम दूसरे चुनावी वादों के लिए बजट आवंटित करने में सरकार लाचार दिखी थी। पिछले बजट में कर्ज माफी के लिए 36 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का सबसे ज्यादा असरे बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर पड़ा था। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी को खुलकर वोट देने वालें बुंदेलखंड पर योगी सरकार ने बजट में दिल खोलकर मेहरबानी दिखाई है। योगी सरकार ने बुंदेलखंड के विकास क लिए 650 करोड़ का इंतजाम किया गया है। प्रदेश के सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल बुंदेलखंड में प्रदेश सरकार इस वित्त वर्ष में 5 हजार तालाब खुदवाएगी ताकि पानी का संकट खत्म हो। इसके अलावा 131 करोड़ रुपये सोलर पंप के लिये दिए गए हैं। वहीं योगी सरकार ने सरयू नहर परियोजना के लिए 1614 करोड रुपए की बजट की व्यवस्था की है। अर्जुन सहायक परियोजना हेतु 741 करोड़, मध्य गंगा नहर परियोजना हेतु 1701 करोड रुपए, कनहर सिंचाई परियोजना हेतु 500 करोड रुपए, बाणसागर परियोजना हेतु 127 करोड रुपए, बाढ़ एवं जल प्लावन से बचाव हेतु तटबंध निर्माण, कटाव निरोधक कार्य एवं जल निकासी की विभिन्न परियोजना हेतु 1004 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित है। लघु सिचाई के तहत 36 करोड़ की व्यवस्था योगी सरकार ने की है।
बजट में किसानों के लिए कई योजनाएं घोषित की गई हैं और साथ ही उनके कर्ज के लिए भी भरी राशी दी गयी है। योगी सरकार के इस बजट में किसान और शिक्षा केन्द्रित है। मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के क्रियान्वयन के लिए 42 करोड़ 49 लाख रुपए की व्यवस्था की गई है। उर्वरकों के अग्रिम भंडारण की योजना के लिए 100 करोड़, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण के लिए 31 करोड़ रुपए, किसानों को कम ब्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध कराने के लिए अनुदान योजना के तहत 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
राज्य सरकार ने किसानों के लिए खजाना खोल दिया है। सरकार ने 100 करोड़ उवर्रक के अग्रिम भंडारण और किसानों को कम ब्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध कराने हेतु सब्सिडी योजना के तहत 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था। इसके अलावा सरयू नहर परियोजना के लिए एक हजार 614 करोड़ रुपये दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि कृषि पशुधन और विकास पर फोकस करेगी। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण हेतु 31 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था की व्यवस्था की गई है। योगी सरकार ने राज्यभर में पशुओं की सुरक्षा पर विशेष बल दिया है। इसके तहत राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य तथा रोग नियंत्रण कार्यक्रम हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। कुल मिलाकर ख्ेाती किसानी से जुड़े हर पक्ष का सरकार ने विशेष ध्यान रखा है जिससे चुनावी वर्ष में लाभ सरकार को मिल सके।
चुनाव आयोग के अनुसार उत्तर प्रदेश में 55.76 प्रतिशत वोटर युवा है। 2017 में विधानसभा के चुनाव में युवा वोटरों की जिम्मेदारी अहम रही। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि भारत समेत दुनिया के 11 देशों की आबादी ही 10 करोड़ से अधिक है। जबकि अकेले उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश को अगर अलग देश की तरह देखा जाए तो यह दुनिया का पांचवां सबसे ज्यादा आबादी वाला है। ऐसे में यहां आधे से ज्यादा युवा वोटरों के चलते चुनाव में उनकी भूमिका भी बढ़ जाती है। प्रदेश के युवा वोटरों को लुभाने के लिए योगी सरकारन ने बजट में युवाओं के लिए स्वरोजगार और प्रदेश में उद्योगों के लिए माहौल बनाने पर विशेष फोकस किया है।
योगी सरकार ने इन्क्यूबेटर की स्थापना और नये उद्यमियों को बढ़ावा देने के मकसद से स्टार्ट अप फंड के लिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। वहीं 100 करोड़ रुपये के आवंटन से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना नामक नई योजना शुरू की गई है। परंपरागत उद्योगों और हस्तशिल्पों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना पर भी बजट का फोकस है। माना जा रहा है, इस योजना का लाभ भी सबसे ज्यादा युवा वर्ग को ही मिलेगा। इसके अलावा यूपी हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल्स ऐंड गारमेंट नीति -2017 हेतु 50 करोड़ रुपये का इंतजाम सरकार ने किया है। वहीं चुनावी साल में प्रदेश सरकार शिक्षकों के 1,37,000 पद और पुलिस विभाग में खाली पड़े 1,62,000 पदों पर भर्ती कर रही है। मतलब साफ है कि चुनावी साल मंे प्रदेश सरकार बेरोजगार युवाओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है।
भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में जारी संकल्प पत्र में इंटर पास कर कॉलेज में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने का वादा किया था। इसी के साथ कॉलेज में प्रवेश लेने पर युवा छात्रों को स्वामी विवेकानंद युवा इंटरनेट योजना के तहत प्रतिमाह 1 जीबी इंटरनेट भी मुफ्त देने का वादा किया था। लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने अपने पहले बजट की भांति ही दूसरे बजट में भी लैपटॉप का कोई जिक्र न कर प्रदेश के लाखों युवा छात्रों की उम्मीद पर पानी फेर दिया। छात्रों को लैपटॉप के सवाल पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छात्रों को अच्छी शिक्षा देने की बात कह टाल दिया। प्रदेश की पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी ने कार्यकाल के पहले साल इंटर पास करने वाले छात्रों को लैपटॉप दिये थे, जिसे बाद में मेधावी छात्रों तक सीमित कर दिया था।
वर्ष 2014 में केंद्र में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने में उप्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भाजपा उप्र में अपना प्रदर्शन दोहरा सके, इसके लिए बजट के जरिये मतदाताओं को साधने की भरपूर कोशिश की गयी है। हालांकि लोकसभा चुनाव के शोरगुल के बीच राज्य सरकार को अपना एक और बजट पेश करने का मौका मिलेगा लेकिन दूसरे बजट के जरिये सरकार अपने चुनावी घोषणापत्र में किये गए उन तमाम वादों को निभाने की शुरुआत कर दी है जिससे भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मदद मिल सके।