लखनऊ में प्रजनन अक्षमता के मामलों में वृद्धि
लखनऊ: महिलाओं व पुरुषों, दोनों में प्रजनन अक्षमता, खासकर उत्तर प्रदेश में, एक तेजी से बढ़ती समस्या है। प्रजनन अक्षमता का अर्थ है सक्रिय रूप से प्रयास करते हुए प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने में असमर्थ होना। ऐसा हो सकता है कि एक साथी गर्भ धारण करने में योगदान न कर सके अथवा महिला पूर्णावधि तक गर्भ धारण करने में असमर्थ हो। प्रजनन अक्षमता के मामले लगातार बढ़ रहे हैं व आकलनों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में देश में प्रजनन अक्षमता में 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह समस्या न ही शहरों तक सीमित है और न ही केवल महिलाओं तक। बल्कि प्रजनन अक्षमता के लगभग 40-45 प्रतिशत मामलों में समस्या पुरुष साथी से जुड़ी होती है। भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में जीवनशैली में कई बदलाव देखे हैं, जिनसे प्रजनन अक्षमता समेत कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं। जागरूकता व इलाज के उचित विकल्पों में कमी जैसी वजहों से प्रजनन अक्षमता का निदान नहीं हो पाता। साथ ही, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रजनन अक्षमता के असर पर पूर्ण रूप से ध्यान नहीं दिया जाता।
हालांकि, अब बदलते समय व राज्य में नोवा आईवीआई फर्टिलिटी जैसी अग्रणी फर्टिलिटी चेन्स की मौजूदगी से हमने एक बड़े स्तर तक प्रजनन अक्षमता की समस्या को सुलझाने में सफलता हासिल की है। भारत में अधिकतर लोगों का विश्वास इस मिथक पर है कि ’प्रजनन अक्षमता’ महिलाओं की समस्या है। कई युगल प्रजनन अक्षमता से जूझते हैं व गर्भ धारण में सहायता चाहते हैं; हालांकि इसे केवल महिलाओं की समस्या ही माना जाता है। जबकि सच्चाई तो यह है कि प्रजनन अक्षमता एक युगल समस्या है। पुरुष व महिला, दोनों इसमें बराबरी के भागीदार हैं।
नोवा आईवीआई फर्टिलिटी, लखनऊ में फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. आंचल गर्ग ने कहा, “10-14 प्रतिशत भारतीय जनता यानी लगभग 27 से 30 मिलियन युगल कई जीवनशैली संबंधित व शारीरिक कारणों से प्रजनन अक्षमता की समस्या झेल रहे हैं। परन्तु उन्हें चिंतित होने आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रजनन अक्षमता का इलाज एक व्यवस्थित ढंग से किया जा सकता है। हमने देखा है कि सही इलाज व सही वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के साथ ’उम्मीद’ ने कई संतानहीन युगलों को मातृ – पितृत्व का आनंद लेने का अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया है।“
प्रजनन अक्षमता के जोखिम कारकः
- आयुः महिलाओं में गर्भ धारण का सामथ्र्य लगभग 35 वर्ष की आयु के बाद गिरने लगता है।
ऽ धूम्रपानः धूम्रपान से दोनों, महिलाओं व पुरुषों में प्रजनन अक्षमता का खतरा बहुत बढ़ जाता है, व यह प्रजनन उपचार के असर को भी कम कर सकता है। गर्भ धारण के दौरान धूम्रपान द्वारा गर्भ गिरने का खतरा बढ़ जाता है। अप्रत्यक्ष धूम्रपान को भी कम प्रजनन क्षमता से संबंधित पाया गया है। - मद्यपानः अत्यधिक मद्यपान से गर्भ धारण के अवसर व शुक्राणुओं की संख्या एवं गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
- स्थूलकाय अथवा अत्यधिक वजन होनाः इससे महिलाओं व पुरुषों में प्रजनन अक्षमता के आसार बढ़ जाते हैं।
- खानपान संबंधी विकारः अगर किसी खानपान सम्बन्धी विकार से वजन बहुत कम होता है तो प्रजनन संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
ऽ व्यायामः बहुत अधिक एवं बहुत कम, दोनों तरह के व्यायाम से प्रजनन संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। - यौन संक्रमण ( ऐसटीआई )ः क्लैमीडिया महिलाओं में डिंबवाही नली को नुकसान पहुंचा सकती है व पुरुषों में वीर्यकोष में सूजन की कारण हो सकती है। कुछ अन्य यौन संक्रमण भी प्रजनन अक्षमता को जन्म दे सकते हैं।
ऽ कुछ रसायनों से संपर्कः कुछ कीटनाशकों, पौधनाशकों व धातुओं को महिलाओं व पुरुषों में प्रजनन समस्याओं से संबंधित पाया गया है। चूहों पर किये गए एक शोध के अनुसार कुछ घरेलू डिटर्जेंट में पाए जाने वाले तत्व भी प्रजनन क्षमता कम कर सकते हैं।
ऽ मानसिक तनावः यह महिलाओं में डिंबक्षरण व पुरुषों में वीर्य उत्पादन पर असर डाल सकता है तथा यौन गतिविधियों व कामेच्छा में कमी का कारण बन सकता है।
सुझाव के तौर पर कुछ समाधान अपनाये जा सकते हैं जिनमें जीवनशैली में कुछ आवश्यक परिवर्तन शामिल हैं, जैसे नियमित व्यायाम, खानपान में परिवर्तन – स्वस्थ व संतुलित आहार अपनाना – व शरीर – मस्तिष्क के विश्राम द्वारा तनाव कम करना। यदि किसी युगल को एक वर्ष के प्रयासों के बाद भी गर्भ धारण में असफलता हाथ लगे तो उन्हें बिना समय गंवाए एक प्रजनन विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।
प्रजनन के लिए इलाज के विकल्पों में शामिल हैं आईयूआई ( इंट्रायूट्रीन इंसैमिनेशन ) जिसमें पति के शुक्राणुओं को एकत्र व तैयार कर गर्भ धारण के लिए पत्नी के गर्भाशय में प्रवेश कराया जाता है, आईवीऐफ ( इन – विट्रो फर्टिलाइजेशन ) जिसमें पत्नी के अपरिपक्व डिम्बों ( अंडाणुओं ) को लेकर पति के शुक्राणुओं से प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है तथा आईसीऐसआई ( इंट्रासायटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजैक्शन ) जिसमें एक सावधानीपूर्वक चयनित शुक्राणु को सीधे अंडाणु में निषेचित किया जाता है। आईवीऐफ सर्वाधिक प्रचलित प्रजनन उपचार है जो सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है। आईसीऐसआई समस्त पुरुष प्रजनन अक्षमता के मामलों के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।