नारी अस्मिता व अधिकारों की सशक्त आवाज ‘गुड़ियाघर’
नौशाद संगीत डेवलपमेन्ट सोसाइटी द्वारा 140 साल पुराने इब्सन के नाटक का मंचन
लखनऊ। नारी अधिकारों व सम्मान के लिए सशक्त आवाज उठाने वाले लगभग 140 साल पुराने हेनरिक इब्सन के लिखे नाटक ‘गुड़ियाघर’ का मंचन आज शाम नौशाद संगीत डेवलपमेन्ट सोसाइटी की ओर से किया गया। रायउमानाथ बली प्रेक्षगृह में आनन्द शर्मा के कुशल निर्देशन में स्त्री स्वतंत्रता की आवाज मुखर करते प्रस्तुत नाटक का अनुवाद हिन्दी अनुवाद हिन्दी-नार्वेजियन लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ला का रहा।
विश्व का प्रथम महिला सशक्तिीकरण का नाटक कहलाने वाला यह नाटक क्रिसमस की तैयारियों से आरम्भ होता है। उस काल में नार्वे में महिलाएं पूरी तरह पुरुषों पर निर्भर थीं। उनका अपना आज़ाद अस्तित्व ही नही था। नाटक की संवेदनशील नायिका नूरा अपने पति को त्यागकर स्वतन्त्र रूप से जीने का निर्णय लेने का क्रान्तिकारी कदम उठाती है। नॉर्वे की जनता के प्रतिनिधि रचनाकार और विश्व के महान नाटककारों में गिने जाने वाले आधुनिक नाटक के जन्मदाता माने गए इब्सन के कारण आधुनिक यथार्थवादी नाटकों का जन्म हुआ।
मंच पर नारी सशक्तीकरण की समस्या पर ज्वलन्त प्रश्न खड़ा करते आज भी प्रासंगिक इस नाटक में खुशमिजाज मिसेज़ नूरा क्रिसमस की खूब सारी खरीदारी कर घर लौटी हैं, जिसपर पति थूरवाल्द हेलमेर से उसकी बहस हो जाती है। स्वाभिमानी हेल्मेर को फिजूलखर्ची और कर्ज लेना बिलकुल पसन्द नहीं। तभी नूरा की पुरानी विधवा सहेली मिसेज लिन्दे आती हंै। बातों में पता चलता है लिन्दे नौकरी की तलाश में है। यहां नूरा उसे बताती है उसने अपने पति हेल्मर के इलाज के लिए पति को बिना बताए ले रखा है। क्रूगस्ताद जिससे नूरा ने कर्ज दिया था, हेलमेर के बैंक में ही काम करता है, वह नूरा पर दबाव बनाता है कि नूरा हेलमेर से उसकी सिफारिश करके उसके काम बना दे। नूरा के मना करने पर वह नूरा को ब्लैकमेल कर धमकी देता है कि नूरा ने कर्ज की जमानत के कागजात पर नकली दस्तख्त बनाए हैं, वह उसे जेल भी करा सकता है। नूरा के इन्कार करने पर वह हेलमेर को इस बाबत पत्र लिखने की बात कहता है। मिसेज लिन्दे को जब यह बात पता चलती है तो वह क्रूगस्ताद से बात करती है कि अगर वह नूरा का पत्र वापस कर दे तो वह उससे दूसरी शादी कर सकती है। हेलमेर को जब वह पत्र मिलता है तो वह नूरा को बुरा कहता है। नूरा बहुत दुखी होती है। तभी हेलमेर को एक और पत्र मिलता है, जिसमें नूरा के जाली दस्तखत वाले कागज थे। अब हेलमेर खुश होकर नूरा की खुशामद करने लगता है पर, नूरा नही मानती वह विद्रोह कर घर छोड कर निकल जाती है।
अन्त में नौशाद संगीत डेवलपमेन्ट सोसाईटी के अध्यक्ष अतहर नबी ने अतिथियों का आभार करते हुए सोसाइटी की गतिविधियों के बारे में बताया तथा अन्त में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बी.एन.ओझा व नवाब जाफ़र मीर अब्दुल्लाह ने कलाकारों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।
पुरुषों को नारी के प्रति संवेदनशीलता एवं बराबरी के अधिकार के लिए प्रेरित करती पेशकश में नूरा की भूमिका में डा.इफ्फत रुख़़सार ने दर्शकों का दिल जीत लिया। हेलमेर की भूमिका सूरज सिंह ने निभाई। खलनायक क्रूगस्ताद के रुप में अल्तमश आज़मी ने नाटक को रोचक बनाए रखा। सहनायिका फिरदौस हुसैन के साथ अज़हर खान ने सफलतापूर्वक अपनी अपनी भूमिकाएं निभाईं। नाटक का दृश्यबन्ध व वेशभूषा प्राचीन ओस्लो शहर के अनुरुप थी प्रारम्भ में बर्फ गिरने का दृश्य प्रभावशाली दिखा। नाटक के सशक्त कलापक्ष से दर्शक अन्त तक बंधे रहे।