नई दिल्लीः महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी, जिन पर अवैध काले धन का मामला चल रहा था, उन्हें प्रवर्तन निदेशालय, के अनुरोध पर इंटरपोल द्वारा जारी रैड- कॉर्नर नोटिस के आधार पर संयुक्त अरब अमीरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया, केन्द्र ने आज संसद को बताया।

केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने एक लिखित जवाब में राज्य सभा को बताया कि महाराष्ट्र हाउसिंग एण्ड एरिया डेवलपमेन्ट ऑथोरिटी के पूर्व डिप्टी कलेक्टर नितीश जे ठाकुर को 21 जनवरी को संयुक्त अरब अमीरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि पिछले साल ईडी के अनुरोध पर अक्टूबर में ठाकुर के खिलाफ़ इंटरपोल नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने बताया कि ‘प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।’
ईडी ने 2011 एवं 2012 में दायर की गई दो एफआईआर के तहत मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत महाराष्ट्र राज्य के इस पूर्व अधिकारी पर आरोप लगाए थे।

शुक्ला ने ठाकुर के कथित अवैध कृत्यों पर बात करते हुए कहा कि आयकर अधिनियम प्रावधान इस व्यक्तिगत निर्धारिती की जानकारी का खुलासे को ‘प्रतिबंधित’ करता है।
उनसे पूछा गया कि क्या कानूनी प्रवर्तन एजेन्सियां एवं कर विभाग मामले की जांच कर रहे थे, जिसके तहत 250 करोड़ रु की राशि मैसर्स शापूरजी पलोन्जी कंपनी लिमिटेड द्वारा ठाकुर की कंपनी पीआरएस एंटरप्राइजे़ज़ को दिए गए।

मंत्री ने बताया ‘‘मैसर्स शापूरजी पलोंजी कंपनी लिमिटेड ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष एक नागरिक मुकदमा 2576-2011 दर्ज किया था और 19 अक्टूबर 2011 को इसके द्वारा दी गई राशि में से अधिग्रहीत संपत्ति के स्थानान्तरण के लिए इसके पक्ष में डिक्री प्राप्त की।’’
उन्होंने कहा कि इस मामले से अब तक 119.43 करोड़ रु की सम्पत्ति जुड़ी है।
महाराष्ट्र एंटी-करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज की शिकायत का संज्ञान लेते हुए ठाकुर के खिलाफ़ भ्रष्टाचार एवं असंतुलित सम्पत्ति रखने के लिए एफआईआर दर्ज की गई।

2016 में महराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन ज़मानत मिलने के बाद से वह फ़रार है। पिछले साल ईडी ने जांच के तहत ठाकुर के भाई नीलेश को गिरफ्तार किया था।
आरोप लगाया गया कि नीलेश ठाकुर ने इन गैर-कानूनी कृत्यों में अपने भाई का साथ दिया और एक बड़ी फर्म से काला धन लिया।

इससे पहले ईडी ने कहा ‘ठाकुर ने मैसर्स पीआरएस एंटरप्राइज़ेज़ के नाम से एक फर्म शुरू की और अपने भाई नीलेश ठाकुर को मालिक के रूप में इसके साथ जोड़ा।

जांच में पाया गया कि ठाकुर एवं उसके सहयोगियों ने नीलेश ठाकुर और उसके परिवारजनों द्वारा निर्मित कंपनियों/ फर्मों के नाम पर 275 करोड़ रु की बड़ी राशि ली है।

बताया गया कि इन कंपनियों द्वारा ली गई 275 करोड़ रु की राशि का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग एवं आपाराधिक गतिविधियों के लिए किया गया।

‘‘हालांकि पार्टी ने दावा किया है कि यह परियोजना प्रबन्धन कन्सटेन्सी शुल्क है, या ज़मीन के एकत्रीकरण के लिए ली गई अग्रिम राशि है। किंतु इस आय को प्रमाणिक आय नहीं पाया गया, अतः पहली नज़र में यह अपराध के लिए इस्तेमाल की गई आय प्रतीत होती है।’’ एजेन्सी ने पिछले साल नीलेश ठाकुर को गिरफ्तार करने के बाद कहा था।