यह अमन और प्रेम के बारे में बात करने का समय है: मौलाना मतीनुल हक़ क़ासमी
फतेहपुर: भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की रक्षा, देश को गुलामी के बंधनों से मुक्त कराने वाले स्वतंत्रता संग्रामियों के स्वप्न को साकार करके देश को निर्माण व विकास की राह पर अग्रसर करने के लिए देश में शांति , एकता व भाईचारा को बढ़ावा देने और नफरत के माहौल को प्रेम से खत्म करने की ज़रुरत है। गुलसिताने हिंद को अपने खून से सींचने वाले मुजाहिदीने आज़ादी को सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि देश में शांति व एकता का माहौल बना रहे, इसी उद्देश्य के लिए मदरसा नुरुल इस्लाम व कस्बा बहुआ जिला फतेहपुर के युवाओं द्वारा आयोजित एक दिवसीय भव्य अमन व एकता सम्मेलन जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी की अध्यक्षता में मदरसे के आंगन में आयोजित किया गया, जिसमें सभी धर्मों के धर्मगुरू शरीक हुए।
सम्मेलन में मृगयोकृतपोवन ओम घाट भटौरा से तशरीफ लाए महंत स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी ने कहा कि अब तक जितने बयान हुए हैं उन सब ने यही बात कही कि हम सब एक हैं, यह पानी क्या हिन्दू पानी या मुस्लिम पानी है?, गेहूं की रोटी न हिंदू-मुसलमान नहीं है, हमारे परिधान अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारे शरीर एक समान हैं, हमारी अपेक्षाएं समान हैं। हम सबका बनाने वाला केवल एक है उसी ने हम सबको बनाया है और हम सबकी सभ्यता अलग हो सकती है, लेकिन जब हम सब एक ही मालिक के बन्दे हैं तो फिर हम सब एक दूसरे से अलग कैसे हो सकते हैं। स्वामी जी ने आगे कहा कि दुनिया में कोई ऐसा देश बताओ जहां केवल एक धर्म के मानने वाले रहते हैं और वहाँ मतभेद न रहते हों, अगर किसी देश में केवल मुसलमान ही रहते हैं तो क्या उनके बीच मतभ़ेद नहीं होते, उसी तरह जिस देश में केवल हिंदू ही हैं, तो कोई मतभेद नहीं है क्या? इसलिए यह कहना गलत है कि देश में केवल एक धर्म के मानने वाले हों, अन्य धर्माें के लोग ना हों तो मतभेद नहीं होगा, यह बात गलत है।
इस मौके पर अपने अध्यक्षीय भाषण में कहते हुए अध्यक्ष जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने कहा कि अमन और एकता तो हृदय की स्थिति का नाम है। यह अमन और प्रेम के बारे में बात करने का समय है और यह महत्वपूर्ण संदेश आज बहुआ से दूसरे स्थानों तक जाएगा। हमारे बड़ों ने हमें यह सबक दिया है कि हम सभी को एक साथ रहने की जरूरत है और अगर हम साथ मिलकर रहते हैं तो हम दुनिया में नंबर एक बन सकते हैं। हमें अमन , प्रेम व एकता की बात करनी है दूसरा क्या कर रहा है हमें कोई मतलब नहीं होना चाहिए, जरा सोचें कि हम किसी चीज़ को बनाएँ और कोई उसे तोड़ दे तो हमें कितनी तकलीफ होगी तो क्या वह मालिक जिसने सभी को बनाया है उसके बनाये किसी प्राणी को नुकसान पहंुचाने पर उसको कितनी तकलीफ होती होगी ?
ईसाई समुदाय के डॉक्टर सी शर्मा ने कहा या कि हमारी एकता ही हमारे विकास का राज है अगर हमारे पास एकता नहीं तो हम किसी क्षेत्र में विकास नहीं कर सकेंगे। अगर हम सब टीम की भावना से मिलकर काम करते हैं, तो हम दुनिया के सभी क्षेत्रों में नेतृत्व कर सकते हैं।
सरदार गुरबचन सिंह ने कहा कि अंग्रेजों का नारा था ‘‘फूट डालो और राज करो’’ और इसके लिए उन्होंने महनतें कीं और वे काफी सफल भी हुए, फिर हमारी समझ में जब आया कि बिना एकता और गठबंधन के हम अंग्रेजों की गुलामी से निजात नहीं पा सकते , तो फिर अंगे्रजों को इस देश को छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।
जमीअत उलमा फरूखाबाद के अध्यक्ष मुफ्ती ज़फर साहब क़ासमी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम चाहे जरूरत हो या न हों होते रहने चाहिए, जमीअत उलमा का हमेशा यही मिशन है कि आग को आग से नहीं बल्कि पानी से बुझाना है, उसी तरह नफरत का इलाज मुहब्बत से करना आवश्यक है। हम भारत की अनेकता में एकता की सुंदरता को बचाने के लिए भारत वासियों को मोहब्बत का पैगाम देने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों को ज़रूरी ख्याल करते हैं, चाहे दूसरों का मिशन कुछ भी हो।
नवनिर्वाचित चेयरमैन राजेश सिंह गौतम जी ने कहा हम सांप्रदायिक ताकतों को कभी सफल नहीं होने देंगे, हमें वर्तमान युग में शिक्षा पर ध्यान देना होगा अगर आज हमने इस जिम्मेदारी को नहीं समझा और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा से अवगत नहीं कराया तो हमारी भविष्य की पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। प्रधान गुरुद्वारा से तशरीफ लाए सरदार संतोष सिंह (बग्गा जी) ने कहा कि लोग आज जो मदरसों को बदनाम करते हैं वे समझ लें कि मदरसे शिक्षा देने का स्थान हैं, यहाँ शिक्षा दी जाती है, बच्चों को नैतिकता सिखाया जाता है।
एस आई महिन्द्रा प्रताप सिंह ने कहा कि सच्चाई और ईमानदारी सबसे बड़ा धर्म है। पहले मोहब्बतें थीं, एकता और गठबंधन था, अब हमारे अंदर वह बात नहीं है, लेकिन फिर भी हम अभी भी विकास कर सकते हैं शर्त यह है कि शिक्षा और स्वास्थ्य से हम अगर कोई समझौता नहीं करें तभी।
हजरत मौलाना मुफ्ती असद उद्दीन कासमी, हजरत मौलाना मुफ्ती सैयद मुहम्मद उस्मान क़ासमी ने संयुक्त रूप से संचालन के कर्तव्यों का पालन किया। जनाब हाफिज अमीनुल हक़ अब्दुल्ला कानपुरी ने नात व नज़म पेष किया। सम्मेलन के संयोजक हाफिज मोहम्मद शाहबाज ने बड़ी संख्या में आए लोगों को धन्यवाद किया। इस अवसर पर विषेषरूप से मौलाना फज़लुर्रहमान, मौलाना फारूक़ , मौलाना फज़ले करीम, हाफिज़ तौहीद, क़ारी अब्दुल मुईद चैधरी, मुफ्ती इज़हार मुकर्रम, मोनू गुप्ता, जितेन्द्र गुप्ता, विजेन्द्र सिंह, सेवा लाल, पंकज सिंह के अलावा अन्य लोग मौजूद रहे।