भारत की गरु-शिष्य परंपरा होगी खेलो इंडिया उद्घाटन समारोह की पहचान
नई दिल्ली: पहले खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के उद्घाटन समारोह की पहचान भारत की सबसे पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा होगी।इन स्कूल गेम्स का उद्घाटन समारोह 31 जनवरी को यहां के इंदिरा गांधी स्टेेडियम में आयोजित किया जाएगा। इस समारोह में खेल जगत के जाने -माने गुरु-शिष्य को जोडि़यां हिस्सा लेंगी।
इस भव्य उद्घाटन समारोह में सभी की नजरें खेल जगत के कुछ शानदार गुरु और जाने-माने खिलाड़ियों की जोड़ी पर रहेंगी। इसका मकसद इस बात को सुनिश्चित करना है कि जिन दिग्गज खिलाड़ियों को उनके जिन कोचों ने खेल की बारिकियां सिखाईं उनको वाजिब सम्मान दिया जाए।
खेल मंत्री राज्यवर्धनसिंह राठौर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात पर बेहद जोर देते हैं कि यह समाज खेलों में भारत को सम्मान दिलाने वाले कोचों का सम्मान करे। खेल मंत्री ने कहा, "हमारे सामने कई एेसे उदाहरण हैं जिनमें कोचों ने बड़ी भूमिका निभाई है और भारतीय खिलाड़ियों को सफलता दिलाई है। यह बेहद अच्छी बात है कि हम इस परंपरा को एक बार फिर वापस लेकर आ रहे हैं।"
गुरु-शिष्यों की जो जोड़ियां उद्घाटन समारोह में मौजूद रहेंगी वो पूरे देश की कई प्रतिभाओं के प्ररेणास्त्रोत होंगी क्योंकि इन खेलों का मकसद युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा को दिखाने का मंच प्रदान करना है और फिर उन्हें निखारते हुए भविष्य के विजेता बनाना है।
खिलाड़ियों के साथ उनके कोचों को हर स्तर पर रखना सरकार की उस बात को याद दिलाता है जिसमें कहा गया था कि सरकार उस कार्यक्रम में बदलाव कर रही है जिसमें खिलाड़ियों के शुरुआती सफर में उनका साथ देने वाले कोचों को अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।
हर गुरु के पास कई शिष्य होते हैं लेकिन उनमें से कुछ अलग तरह के निकलते हैं और उच्च स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सम्मान पाते हैं। इस कार्यक्रम में जो गुरु-शिष्य के जोडि़यां हिस्सा ले रही हैं वो इस प्रकार हैं।
तीरंदाजी (धमेंद्र तिवारी, डोला बनर्जी के साथ) : धमेंद्र तिवारी को देश के कई प्रमुख तीरंदाजों को खोजने और उनके प्रशिक्षित करने का श्रेय जाता है। उनके शिष्यों में सबसे प्रमुख डोला बनर्जी हैं। डोला ने 2003 के बाद से राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीती और ओलम्पिक सहित कई अंतर्राष्ट्रीय आयोजनो में भारत का प्रतिनिधित्व किया। डोला को 2005 में अर्जुन पुरस्कार मिला।)
एथलेटिक्स ( पीटी ऊषा, टिंटु लुका और जिशना मैथ्यू के साथ) : भारत की पहली महिला एथलीट पीटी ऊषा ने ऊषा स्कूल आॅफ एथलेटिक्स शुरू किया है और अपनी देखरेख में कई अच्छे एथलीट तैयार कर चुकी हैं। उनकी सबसे सफल शिष्याओं में से एक टिंटु लुका और जिशना हैं। इन दोनों ने कई अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और पदक जीते हैं)
बैडमिटन (पुलेला गोपीचंद, सायना नेहवाल, पीवी सिंधु और किदाम्बी श्रीकांत के साथ) : गोपीचंद अकादमी की शुरुआत के साथ पुलेला गोपीचंद तीन एथलीटों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। ओलम्पिक पदक धारी सायना नेहवाल और पीवी सिंधु तथा किदाम्बी श्रीकांत इनके ऐसे शिष्य हैं, जो विश्व भर में नाम कमा चुके हैं।
बास्केटबॉल (अमरजीत सिंह, विशेष भृगुवंशी के साथ) : साई के पूर्व कोच अमरजीत सिंह बास्केटबॉल गुरू हैं। तीन दशक के अपने करियर में उन्होंने 23 अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी पैदा किए हैं और इन्हीं में से एक हैं भारतीय टीम के कप्तान विशेष।
मुक्केबाजी (इबोम्चा सिंह, एमसी मैरीकोम और विकास कृष्ण के साथ) : अवार्ड विनिंग मुक्केबाजी गुरू एल. इबोम्चा सिंह ने पांच बार की विश्व चैम्पियन एमसी मैरी कोम सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजों को ट्रेन किया है। इनके प्रयासों से मणिपुर में मुक्केबाजी को लेकर एक क्रांति आई है।
फुटबाल (सेवियो मेदेरा, बाइचुंग भूटिया और सुनील छेत्री के साथ) : सेवियो भारतीय फुटबाल के असल गुरू माने जाते हैं। इनकी देखरेख में बाइचुंग भूटिया और सुनील छेत्री जैसे दिग्गज खिलाड़ी निकले जो आगे चलकर भारतीय टीम के कप्तान बने।
जिमनास्टिक ( विशेश्वर नंदी, दीपा करमाकर के साथ) : ओलम्पिक में शनदार प्रदर्शन कर देशवासियों का दिल जीतने वाली दीपा को प्रशिक्षित कर रहे नंदी उनके दूसरे पिता समान हैं। दीपा ने एशियान चैम्पियनशिप में पदक जीता और ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन किया। दीपा उन्हें सही मायने में गुरू का दर्जा देती हैं।
हॉकी (हरेंद्र सिंह, सरदार सिंह और रानी के साथ) : हरेंद्र सिंह भारतीय महिला हॉकी टीम के मौजूदा गुरु हैं। वह कई भारतीय जूनियर खिलाड़ियों के गुरू रहे हैं। सरदार सिंह और रानी अपने करियर के दौरान उनके शिष्य रहे हैं।
कबड्डी (बलंवत सिहं के साथ होंगे राहुल चौधरी और अजय ठाकुर) ः बलवंत सिंह इस समय भारत की राष्ट्रीय कबड्डी टीम के मुख्य कोच हैं जो एशियाई खेलों और विश्व कप में सफलता के झंडे गाड़ चुकी है। अजय ठाकुर और राहुल चौधरी गुरु बलवंत के सबसे होनहार शिष्यों में से हैं।
खो-खो (संजीव शर्मा के साथ होंगी सारिका काले) ः संजीव शर्मा भारत की महिला टीम के मुख्य कोच हैं। वह खो-खो की दुनिया का बड़ा नाम हैं। सरिका भारत की मौजूदा खो-खो टीम की कप्तान हैं। दोनों एसएजी गुवाहाटी-2016 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे।
तैराकी (निहार अमीन के साथ होंगी वृद्धावल खाडे और श्रीहरि नटराजन) ः निहार अमीन भारत की वृद्धावल खाडे और संदीप सेजवाल और श्रीहिर जैसी युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए जिम्मेदार हैं। श्रीहरि ने देश का कई टूर्नामेंट में प्रतिनिधित्व किया है।
वॉलीबाल (जीई श्रीधरन के साथ वैष्णव और अखिन जीएस) ः कई युवा वॉलीबाल खिलाड़ियों को जी.ई. श्रीधरन ने प्रशिक्षित किया है उनमें से वैष्णव और अखिन जीएस भी हैं। यह दोनो खिलाड़ी कई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट का हिस्सा रह चुके हैं।
भारत्तोलान (पाल सिंह संधू के साथ होंगी स्वाति सिंह और रवि कुमार) ः पाल सिंह संधू भारतीय टीम के कोच हैं। उन्होंने कई खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और निखारा है। इनमें सबसे प्रसिद्ध हैं रवि कुमार और स्वाति सिंह। रवि को 2011 में अर्जुन अवार्ड मिल चुका है। वहीं स्वाति सिंह सीडब्ल्यूजी-2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
कुश्ती (सतपाल के साथ होंगे सुशील कुमार) ः सतपाल भारतीय कुश्ती के सबसे प्रसिद्ध गुरु हैं। उन्होंने सुशील कुमार जैसे खिलाड़ी को प्रशिक्षण दिया है। सुशील ने भारत को दो बार ओलम्पिक में कांस्य पदक दिलाए हैं।
कुश्ती (कुलदीप मलिक के साथ होंगी साक्षी मलिक) ः कुलदीप मलिक, साक्षी मलिक को नेशनल कैम्प में लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं । साक्षी मलिक ने रियो ओलम्पिक-2016 में भारत को कांस्य पदक दिलाया था जिसमें कुलदीप की अहम भूमिका रही थी।