देश को कहां ले जाएगी विरोध की ये ग़लत परम्परा
फ़िरदौस ख़ान
भारतीय जनता पार्टी ने देश की सियासत में कई ऐसी ग़लत परम्पराएं शुरू की हैं, जो आने वाले वक़्त में अपना क़हर ज़रूर ढहाएंगी। इनमें से एक परम्परा विरोध की है। विरोध किया जाना चाहिए, लेकिन सिर्फ़ विरोध के लिए विरोध नहीं होना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी की तर्ज़ पर अन्य सियासी दल भी विरोध के इस तरीक़े को अपना सकते हैं। जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का ग़ैर ज़रूरी विरोध किया जाता है, उसे किसी भी लिहाज़ से सही नहीं कहा जा सकता। वे जहां जाते हैं, उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए जाते हैं, उनके ख़िलाफ़ अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, उनके परिवार पर मिथ्या आरोप लगाए जाते हैं, गणतंत्र दिवस समारोह में उन्हें चौथी पंक्ति में बैठने की जगह दी जाती है। आख़िर ये सब किस संस्कृति का हिस्सा है।
कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद जब पहली बार राहुल गांधी अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में गए, तो पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गुलाबों के सुर्ख़ फूलों से उनका स्वागत किया गया। उन्हें फूलों के गुलदस्ते दिए गए। वे जहां-जहां से गुज़रे, उन पर सुर्ख़ गुलाबों की पंखुड़ियां बरसाई गईं। उन्हें यक़ीन दिलाया कि कांग्रेस सत्ता में हो या विपक्ष में हर हाल में वे हमेशा कांग्रेस के साथ रहेंगे, उनके साथ रहेंगे। दरअसल, राहुल गांधी के बेहरीन जाने से पहले ही यह तय हो गया था कि वे 15 और 16 जनवरी को अमेठी में रहेंगे। वे 8 जनवरी को बहरीन में आयोजित भारतीय अप्रवासियों के ग्लोबल ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन रीजन सम्मेलन को संबोधित करने के बाद 10 जनवरी को स्वदेश लौटे थे। राहुल गांधी का अमेठी दौरे का कार्यक्रम तय होने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी थीं। उन्हें जहां-जहां जाना था, वहां का भी जायज़ा ले लिया गया।
अमेठी में जहां कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता राहुल गांधी के स्वागत की तैयारियों में ज़ोरशोर से जुटे थे, वहीं उनके विरोधियों में भी हलचल शुरू हो चुकी थी। दरअसल, जब से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने पिछले लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त खाई है, तब से वे राहुल गांधी के ख़िलाफ़ बहुत ज़्यादा मुखर हुई हैं। वे हमेशा राहुल गांधी के ख़िलाफ़ बयान देने के लिए आतुर रहती हैं। लेकिन राहुल गांधी ने कभी स्मृति ईरानी पर एक लफ़्ज़ भी ख़र्च नहीं किया। इतना ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता भी किसी न किसी बहाने राहुल गांधी का विरोध करते रहते हैं। राहुल गांधी विदेश जाते हैं, तब भी उन पर तंज़ कसे जाते हैं, पूछा जाता है कि वे कहां गए हैं, क्यों गए हैं, कब आएंगे, वग़ैरह-वग़ैरह। इस बार उन्होंने राहुल गांधी के अमेठी दौरे को लेकर उनके विरोध की रणनीति बना डाली। राहुल गांधी अमेठी आएं तो परेशानी, न आएं तो हज़ार शिकायतें।
बहरहाल, राहुल गांधी अपने दौरे के पहले दिन रायबरेली ज़िले के सलोन गए। और वहां के लोगों से मुलाक़ात कर उनकी परेशानियां सुनीं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर अमेठी से सौतेला बर्ताव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे अमेठी में फ़ूड पार्क बना रहे थे। इससे किसानों को फ़ायदा होता, उन्हें उनकी फ़सल के वाजिब दाम मिलते, लेकिन मोदी सरकार ने इसे बंद कर दिया। नतीजतन किसानों को अपने ख़ून-पसीने से उगाई फ़सल सड़क पर फेंकनी पड़ रही है। उन्होंने कहा,”चाहे कुछ भी हो जाए, यहां फ़ूड पार्क बनेगा और मैं ये काम करूंगा। जैसे ही हमारी सरकार बनेगी हम यहां फ़ूड पार्क बनाएंगे और किसानों के उत्पाद यहां पर सही दामों में बेचे जाएंगे। मैं ये करके दिखाऊंगा।’
राहुल गांधी से मिलकर जहां किसानों के मन में कुछ उम्मीद जगी, वहीं उनके विरोधी उनके ख़िलाफ़ खड़े हो गए। सलोन में राहुल गांधी का विरोध किया गया। स्थानीय भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी की अगुवाई में कुछ लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाते हुए उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को खदेड़ने की कोशिश की। इस मामले को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से भी तीखी नोकझोंक हुई। दूसरे दिन भी ठीक ऐसा ही हुआ। अपना रास्ता रोके जाने पर राहुल गांधी को ग़ुस्सा आ गया और वे अपनी गाड़ी से उतरकर पैदल ही गौरीगंज शहर की तरफ़ चल पड़े। उनके पैदल चलने पर विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) से लेकर ज़िला प्रशासन तक में हड़कंप मच गया। उनके सभा स्थल तक पहुंचने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। वे सुबह से हाथों में पोस्टर लेकर राहुल गांधी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे। पोस्टर में लिखा था, 'राहुल गांधी लापता सांसद का स्वागत'। इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता राहुल गांधी के लापता होने के पोस्टरों से अमेठी की दीवारों को रंग चुके हैं। फिर क्या था कांग्रेस के कार्यकर्ता भी उनसे भिड़ गए। मामला बढ़ता देख, पुलिस को दख़ल देना पड़ा। पुलिस से भी उनकी झड़प हो गई। नतीजतन पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राहुल गांधी ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया।
अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान जहां राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर उनका मनोबल बढ़ाया, वहीं आम लोगों की समस्याएं भी सुनीं। इस बीच अमेठी के गंगागंज सखनपुर की रहने वाली किस्मतुल अपने बेटे मोहम्मद सरवर को लेकर आई और राहुल गांधी से बेटे के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई। उनका बेटा पैरालाइज़्ड होने की वजह से व्हील चेयर पर चलने को मजबूर है। राहुल गांधी ने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा, परेशान मत हो अम्मा, इसका इलाज होगा, आपका बेटा ठीक हो जाएगा। ग़ौरतलब है कि राहुल गांधी बहुत लोगों की मदद करते हैं।
अमेठी प्रवास के दौरान राहुल गांधी ने चुरावा के हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना कर खिचड़ी दान की और आदतन रास्ते में एक जगह रुककर नाश्ता भी किया। राहुल गांधी जहां जाते हैं, लोगों के दिल जीत लेते हैं। राहुल गांधी साल 2004 से अमेठी के सांसद हैं। अमेठी के बाशिन्दे राहुल गांधी के आगमन से ख़ुश थे, लेकिन विरोधी उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाने में जुटे हैं। राहुल गांधी को इस तरफ़ ख़ास ध्यान देना होगा।
बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी ने पोस्टर की जो परम्परा शुरू की है, उसका रंग दिखना शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी की तर्ज़ पर कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने भी पोस्टर तक छपवाकर अमेठी की दीवारों पर लगवा डाले। गौरीगंज रेलवे स्टेशन पर लगे एक पोस्टर में राहुल गांधी को भगवान राम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण के तौर पर दिखाया गया है। पोस्टर में तीर-कमान लिए दिख रहे राहुल गांधी के बारे में लिखा गया है कि राहुल के रूप में भगवान राम का अवतार, 2019 में आएगा राहुल राज (रामराज)। पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दस सिर के साथ रावण के रूप में दिखाया गया हैं। बताया जा रहा है कि यह पोस्टर कांग्रेस के अभय शुक्ला उर्फ़ रिज्जू ने लगवाया है। इससे पहले भी अमेठी में राहुल गांधी के पोस्टर लगाए जा चुके हैं। ये पोस्टर अमेठी के तिलोई विधानसभाओं क्षेत्र के सिंहपुर ब्लॉक के कांग्रेस नेता अभिषेक वाजपेयी ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर लगवाए थे। पोस्टर में राहुल गांधी को अर्जुन अवतार और युग पुरुष का ख़िताब दिया गया था, जबकि एक अन्य पोस्टर में राहुल गांधी को शिव भक्त, जनेऊधारी और भगवान परशुराम का वंशज बताया गया था। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया में भी कांग्रेसी, भाजपा को टक्कर दे रहे हैं।
(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं)